[Section 223 BNSS] अभियुक्तों को सुने बिना ED की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि विशेष अदालत अभियुक्तों को सुनवाई का अवसर दिए बिना प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर शिकायत पर संज्ञान नहीं ले सकती।
जस्टिस रविंदर डुडेजा ने PMLA मामले में एक अभियुक्त की याचिका को खारिज करते हुए स्पेशल जज का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 223 के प्रावधान के तहत धन शोधन मामले में संज्ञान-पूर्व सुनवाई की मांग की गई।
न्यायालय ने कहा कि यह आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत दायर अभियोजन शिकायत पर BNSS की धारा 223 की प्रयोज्यता को समझने में विफल रहा।
जज ने कुशल कुमार अग्रवाल बनाम ED मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि चूंकि PMLA शिकायत 1 जुलाई 2024 के बाद दायर की गई थी, इसलिए BNSS की धारा 223 लागू होगी, जिसमें संज्ञान से पहले अभियुक्त को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है।
उक्त निर्णय पर ध्यान देते हुए न्यायालय ने कहा:
“चूंकि शिकायत क्रमांक 25/2024, जिसका शीर्षक “प्रवर्तन निदेशालय बनाम लक्ष्य विज एवं अन्य” है, यदि मामला 01.07.2024 के बाद दायर किया गया तो अभियुक्त को सुनवाई का अवसर दिए बिना संज्ञान नहीं लिया जा सकता।
जस्टिस डुडेजा ने अभियुक्त लक्ष्य विज की याचिका स्वीकार कर ली, जिन्होंने तर्क दिया था कि स्पेशल जज ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह BNSS की धारा 223 के प्रावधान के अनुसार संज्ञान लेने से पहले उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करे और उसके बाद कानून के अनुसार आगे बढ़े।
अदालत ने कहा,
"हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा निचली अदालत में दायर की गई जमानत याचिकाओं, यदि कोई हों, पर उनके गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।"
Title: Lakshay Vij v. ED