RTI सूचना मांगे गए तरीके से दे सरकार, सुरक्षा उपाय भी हो पुख्ता : दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के तहत मांगी गई सूचना उस तरीके से प्रदान करने के लिए नियम बनाए या दिशा-निर्देश जारी करे, जिस तरीके से सूचना चाही गई है, साथ ही उसमें उचित सुरक्षा उपाय भी सुनिश्चित किए जाएं।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के सक्षम प्राधिकारी को तीन महीने के भीतर इस पर निर्णय लेने को कहा।
यह आदेश आदित्य चौहान और अन्य व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिया गया। याचिका में यह मुद्दा उठाया गया था कि सूचना अधिकारी और अन्य प्राधिकरण RTI Act के तहत सूचना आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों जैसे ईमेल और पेनड्राइव में उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, जबकि Act में इसकी व्यवस्था है।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि RTI नियम 2012 में ऐसा कोई ढांचा नहीं है, जिससे सूचना आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से देने की बाध्यता हो।
केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को RTI Act की धारा 2(j) की ओर ध्यान दिलाया, जिसमें सूचना प्राप्त करने का अधिकार इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों सहित सभी तरीकों से सूचना प्राप्त करने को शामिल करता है।
कोर्ट ने पाया कि RTI Act की धारा 4(4) और 7(9) के तहत सूचना मांगे गए तरीके से प्रदान की जानी चाहिए, बशर्ते इससे सार्वजनिक प्राधिकरण के संसाधनों पर अत्यधिक दबाव न पड़े या रिकॉर्ड की सुरक्षा व संरक्षा को नुकसान न हो।
कोर्ट ने कहा,
"हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि आमतौर पर RTI Act के तहत मांगी गई सूचना सूचना मांगने वाले को उसी रूप में प्रदान की जानी चाहिए, जिसमें वह चाही गई है, पर यह धारा 4(4) और 7(9) में वर्णित शर्तों के अधीन है।"
अंत में कोर्ट ने केंद्र सरकार को उपयुक्त ढांचा तैयार करने का निर्देश दिया ताकि सूचना मांगने वाला अपने अधिकारों का सही लाभ उठा सके।
केस टाइटल: आदित्य चौहान एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य