Liquor Policy: दिल्ली हाइकोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर जवाब देने के लिए ED, CBI को और समय दिया

Update: 2024-05-08 07:03 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया।

सिसोदिया वर्तमान में कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन और भ्रष्टाचार के मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं।

जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने मामले की सुनवाई सोमवार 13 मई को तय की जब ED के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने अदालत को बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का और समय चाहती है, क्योंकि जांच अधिकारी (IO) मामले में एक और पूरक अभियोजन शिकायत दाखिल करने की प्रक्रिया में है।

उन्होंने कहा,

"अन्य व्यक्ति न्यायिक हिरासत में है और सह-आरोपी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही चल रही है।"

इस अनुरोध का सिसोदिया की ओर से पेश हुए वकील विवेक जैन ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि ED ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा था कि मामले में छह महीने के भीतर मुकदमा समाप्त कर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद सिसोदिया की नई जमानत याचिका तीन महीने के लिए स्थगित कर दी गई और निचली अदालत के समक्ष ED का जवाब पहले ही जमानत याचिका में संलग्न किया जा चुका है।

हुसैन ने इस तर्क का विरोध करते हुए इसे "झूठा प्रस्तुतीकरण" कहा और कहा कि हाइकोर्ट में सिसोदिया की जमानत याचिका तीन महीने से लंबित नहीं है।

CBI की ओर से पेश हुए वकील ने भी मामले में जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा।

हालांकि अदालत ने कहा कि वह ED और CBI को इस सप्ताह तक ही जवाब दाखिल करने का समय देगी और मामले की सुनवाई सोमवार को तय की।

सिसोदिया ने 30 अप्रैल को CBI और ED दोनों मामलों में उनकी दूसरी जमानत याचिकाओं को खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की इस दलील को खारिज कर दिया कि मामले की कार्यवाही में देरी हो रही है या मामला बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। यह भी देखा गया कि तथाकथित देरी स्पष्ट रूप से आप नेता के कारण है।

सिसोदिया को ट्रायल कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने ED और CBI दोनों मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ सिसोदिया की पुनर्विचार याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। उनकी क्यूरेटिव याचिकाओं को भी खारिज कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर मुकदमा धीमी गति से आगे बढ़ता है तो वह निचली अदालत में नई जमानत याचिका दायर कर सकते हैं। मनीष सिसोदिया को पहली बार CBI और ED ने पिछले साल क्रमश: 26 फरवरी और 9 मार्च को गिरफ्तार किया था।

CBI द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में सिसोदिया और अन्य पर 2021-22 की आबकारी नीति के संबंध में 'सिफारिश' करने और 'निर्णय लेने' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया, बिना सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के, जिसका उद्देश्य लाइसेंसधारक को निविदा के बाद अनुचित लाभ पहुंचाना था।

केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया कि AAP नेता को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने सबूतों के सामने आने के बावजूद टालमटोल वाले जवाब दिए और जांच में सहयोग करने से इनकार कर दिया।

दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को कुछ निजी कंपनियों को 12 प्रतिशत का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत लागू किया गया। हालांकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनटों में ऐसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।

एजेंसी ने यह भी दावा किया कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा एक साजिश रची गई थी। एजेंसी के अनुसार, नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से काम कर रहा था।

दोनों मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं को स्पेशल जज एमके नागपाल (अब ट्रांसफर) ने पिछले साल 31 मार्च और 28 अप्रैल को खारिज कर दिया। दिल्ली हाइकोर्ट ने तब दोनों मामलों में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उन्होंने इन दोनों फैसलों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

पिछले साल 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

केस टाइटल: मनीष सिसोदिया बनाम ED, CBI

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