दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल में क्षमता से अधिक कैदियों के मामले में जनहित याचिका खारिज की, याचिकाकर्ता से उचित अधिकारियों से संपर्क करने को कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (14 मई) को राष्ट्रीय राजधानी में तिहाड़ जेल में क्षमता से अधिक कैदियों के मामले को उजागर करने वाली जनहित याचिका खारिज की।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को प्रतिवेदन दिया, जो तिहाड़ जेल सहित दिल्ली की जेलों की निगरानी करने वाली संबंधित प्राधिकारी नहीं है।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता आनंद मिश्रा से कहा कि वे दिल्ली सरकार या तिहाड़ जेल के प्रशासन के लिए जिम्मेदार किसी अन्य प्राधिकारी से संपर्क करें।
शुरू में खंडपीठ ने कहा कि जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के मामले का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
जस्टिस गेडेला ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा,
"जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के मामले का मामला सुप्रीम कोर्ट में है... सुप्रीम कोर्ट देश भर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के मामले को देख रहा है।"
इसके बाद वकील ने एक अन्य प्रार्थना का हवाला दिया, जिसमें मांग की गई कि किसी भी व्यक्ति को बिना किसी जांच के तिहाड़ जेल के गेट में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
इसके बाद न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने इस मुद्दे पर भारत संघ के गृह सचिव को अभ्यावेदन दिया, जो तिहाड़ जेल के मामलों के लिए जिम्मेदार प्राधिकारी नहीं है।
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा,
“केंद्रीय जेल का क्या विचार है? केंद्रीय जेल का मतलब यह नहीं है कि यह केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित है। आपको अपनी शिकायतों के बारे में डीजी जेल, प्रमुख सचिव गृह- जीएनसीटीडी को अपनी शिकायतों से अवगत कराने की आवश्यकता है, उन्हें बताते हुए कि यह वह नियम है, जिसका आपने पालन नहीं किया, कृपया इसका पालन करें। यदि इसका निवारण नहीं होता है तो न्यायालय में आएं और हम निर्देश पारित करेंगे।”
इसके बाद वकील ने संबंधित अधिकारियों से अभ्यावेदन करके उनसे संपर्क करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने का अनुरोध किया।
न्यायालय ने कहा,
“याचिका को वापस लेते हुए स्वतंत्रता के साथ खारिज किया जाता है, जिसकी प्रार्थना की गई।”
केस टाइटल: आनंद मिश्रा बनाम यूओआई