भोले-भाले लोग धार्मिक उपदेशकों के नाम पर प्रलोभनों का शिकार बनते हैं, यही समाज की कड़वी सच्चाई: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जीवन में कठिन दौर से गुजर रहे भोले-भाले लोग धार्मिक उपदेशकों के नाम पर दिए गए प्रलोभनों का शिकार बन जाते हैं और यह हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई है।
जस्टिस गिरीश कथपालिया ने कहा,
“हमारे समाज की इस कड़वी सच्चाई को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि जीवन में कठिनाई झेल रहे भोले-भाले लोग धार्मिक उपदेशकों के नाम पर दिए गए प्रलोभनों का शिकार बनते हैं।”
यह टिप्पणी कोर्ट ने उस व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए की, जिस पर एक महिला से अपने धार्मिक गुरु के नाम पर बार-बार भारी धनराशि वसूलने का आरोप है।
आरोप लगाया गया कि आरोपी और उसके साथियों ने महिला और उसके बच्चों से कुल 5,63,37,090 रुपये की ठगी की। सभी पक्ष एक धार्मिक गुरु के अनुयायी थे और छतरपुर के एक मंदिर में होने वाले धार्मिक समागमों में भाग लिया करते थे।
कोर्ट ने धार्मिक गुरु के कई अनुयायियों और भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उसका नाम या उपाधि प्रकट नहीं की लेकिन यह कहा कि उस उपदेशक की उपाधि से यह स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता महिला वास्तव में प्रेरित हुई और आरोपी के कहने पर पैसे दे दिए, क्योंकि उसने उसे विश्वास दिलाया था कि उस धार्मिक गुरु की प्रेरणा से उसके जीवन की सभी समस्याएं हल हो जाएंगी और वह निवेश पर भारी लाभ कमा कर अमीर बन जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी की ओर से यह भी नहीं बताया गया कि उसने शिकायतकर्ता और अन्य अनुयायियों से एकत्र की गई धनराशि कहां निवेश की।
कोर्ट ने कहा,
"जैसा कि जांच अधिकारी ने विशेष रूप से बताया आरोपी/आवेदक बार-बार बुलाने के बावजूद शुरू में इस विषय पर जवाब नहीं दे रहा था। बाद में उसने अस्पष्ट रूप से कहा कि उसने यह पैसा क्रिप्टो करेंसी में निवेश किया, लेकिन कोई भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी।”
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आरोपी अब जांच में सहयोग नहीं कर रहा है और किसी अज्ञात स्थान पर फरार हो गया।
कोर्ट ने कहा,
"जैसा कि लोक अभियोजक ने सही कहा, ठगे गए पैसों के स्रोत और उपयोग का पता लगाने के लिए आरोपी की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।”
केस टाइटल: MANU WAHDWA @ MOHIT V THE STATE, GOVT. OF NCT OF DELHI