उमर खालिद की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया

Update: 2024-07-24 08:24 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA Act) के तहत दर्ज दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में उमर खालिद द्वारा दायर जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस गिरीश कठपालिया की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा और मामले को 29 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

अदालत ने सह-आरोपी व्यक्तियों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को भी सुनवाई के लिए उक्त तिथि पर सूचीबद्ध किया। आरोपियों में शरजील इमाम, मीरान हैदर, खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, शादाब अहमद और अतहर खान शामिल हैं। इस बैच में सह-आरोपी इशरत जहां को दी गई जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की चुनौती भी शामिल है।

खालिद की दूसरी जमानत याचिका 28 मई को ट्रायल कोर्ट ने खारिज की थी। उन्होंने हाईकोर्ट में अपील में उक्त आदेश को चुनौती दी है।

खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से राहत मांगने वाली अपनी याचिका वापस लेने के बाद नई जमानत याचिका दायर की। खालिद ने अक्टूबर 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया।

इसके बाद खालिद ने सीआरपीसी की धारा 437 और यूएपीए की धारा 43डी (5) के तहत नई अर्जी दायर की।

नियमित जमानत की उनकी पहली याचिका मार्च 2022 में ट्रायल कोर्ट ने खारिज की थी।

खालिद सितंबर, 2020 से सलाखों के पीछे हैं और फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की बड़ी साजिश में कथित संलिप्तता के लिए यूएपीए के तहत अपने मुकदमे का इंतजार कर रहे हैं।

उन पर कई अन्य लोगों के साथ आरोप लगाए गए हैं, जिनमें पिंजरा तोड़ की सदस्य देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के स्टूडेंट आसिफ इकबाल तन्हा और स्टूडेंट एक्विस्ट गुलफिशा फातिमा शामिल हैं।

इस मामले में जिन अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया, उनमें पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर और शिफा-उर-रहमान, आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, कार्यकर्ता खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं।

खालिद पर UAPA Act की धारा 13, 16, 17 और 18, शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया।

केस टाइटल: उमर खालिद बनाम राज्य

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