फिजकली ट्रेडमार्क का उपयोग आवश्यक नहीं, वस्तुओं से किसी भी प्रकार के संबंध में उपयोग मान्य : दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी वस्तु से संबंधित ट्रेडमार्क का उपयोग केवल भौतिक रूप में ही होना आवश्यक नहीं है।
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शलिंदर कौर की खंडपीठ ने ट्रेडमार्क एक्ट, 1999 की धारा 2(2)(c) का हवाला देते हुए कहा कि किसी चिह्न का उपयोग वस्तुओं से किसी भी प्रकार के संबंध में किया जा सकता है।
अदालत ने अवलोकन किया,
“वस्तुओं के संदर्भ में किसी ट्रेडमार्क का उपयोग का अर्थ है, उस ट्रेडमार्क का उपयोग उन वस्तुओं पर या उनके साथ किसी भी भौतिक अथवा किसी अन्य प्रकार के संबंध में।”
इस पृष्ठभूमि में हाईकोर्ट ने KRBL लिमिटेड (प्रसिद्ध 'इंडिया गेट' चावल ब्रांड की मालिक) के ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने से एम/एस केआरबी एंटरप्राइजेज नामक साझेदारी फर्म को रोकने वाले कमर्शियल अदालत के आदेश को बरकरार रखा।
उत्तरदाता (KRBL लिमिटेड) का दावा था कि KRBL और पैडी डिवाइस दोनों उसके पंजीकृत ट्रेडमार्क के महत्वपूर्ण घटक हैं और यह वर्ष 2000 से उपयोग में है।
वहीं अपीलकर्ता फर्म ने तर्क दिया कि KRBL केवल उत्तरदाता का कॉर्पोरेट नाम है और वह इस नाम के तहत वस्तुएं नहीं बेचती। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रेडमार्क सुरक्षा वास्तविक उपयोग पर निर्भर होती है और जब तक वास्तविक उपयोग न हो कोई दावा नहीं बनता।
अपीलकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि उत्तरदाता द्वारा ट्रेडमार्क वापस लेने/रद्द करने की अर्जी दायर की गई, जो परित्याग (Abandonment) को दर्शाता है।
उत्तरदाता कंपनी ने अदालत को बताया कि ट्रेडमार्क वापस लेने का निर्णय गलत कानूनी सलाह के चलते लिया गया और जब यह गलती समझ आई तो अगले ही दिन उसी चिह्न के लिए नई ट्रेडमार्क अर्जी दायर की गई।
हाईकोर्ट ने इस स्पष्टीकरण को स्वीकार किया और कहा,
“ट्रेडमार्क के उपयोग को छोड़ने का आशय केवल तभी माना जा सकता है, जब कोई सक्रिय और स्पष्ट मंशा हो। इस मामले में उत्तरदाता लगातार चिह्न का उपयोग करता रहा है। भले ही उसने क्लास-30 के तहत आवेदन वापस लिया हो, लेकिन अगले ही दिन पुनः रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दायर किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ट्रेडमार्क छोड़ने की मंशा नहीं थी।”
जहां तक इस तर्क का सवाल है कि विवादित ट्रेडमार्क केवल उत्तरदाता का कॉर्पोरेट नाम है, हाईकोर्ट ने कहा,
"उत्तरदाता ने अपने ट्रेडमार्क का उपयोग वस्तुओं से संबंधित रूप में ही नहीं बल्कि विज्ञापनों आदि में भी दिखाने वाले भारी संख्या में दस्तावेज़ प्रस्तुत किए। साथ ही यह तथ्य भी स्वीकार किया गया कि उत्तरदाता अपने चिह्न का पंजीकृत मालिक है।”
अंत में अदालत ने यह मानते हुए कि अपीलकर्ता का ट्रेडमार्क 'KRB' उत्तरदाता के रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क 'KRBL' से मिलता-जुलता है, अपील खारिज कर दी।
केस टाइटल: KRB Enterprises & Ors. बनाम M/S. KRBL Limited