दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 साल जेल में रहने के बाद महिला दोषी की सज़ा निलंबित की, उसके तीन नाबालिग बच्चों की भलाई का हवाला दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने कथित प्रेमी की हत्या के लिए दोषी ठहराई गई महिला की आजीवन कारावास की सज़ा निलंबित की, क्योंकि उसके तीन बच्चों की भलाई की चिंता है।
दो बच्चे उसके वृद्ध माता-पिता के साथ रहते हैं, जबकि उसका तीसरा दो साल का बच्चा जेल में उसके साथ रहा।
जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा,
"अपीलकर्ता एक महिला है और उसका एक बच्चा, जो मुश्किल से दो साल का है, जेल में उसके साथ है, और उसके वृद्ध माता-पिता उसकी उचित देखभाल करने की स्थिति में नहीं हो सकते हैं।"
अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपीलकर्ता का मृतक के साथ अवैध संबंध था। आरोप है कि उसने अपने पति जमीर के साथ मिलकर मृतक के शरीर के टुकड़े किए। कथित तौर पर दोनों की निशानदेही पर शरीर के अंग बरामद किए गए।
अपील के लंबित रहने तक सज़ा निलंबित करने और रिहाई की मांग की गई।
अपनी अपील में महिला ने तर्क दिया कि उसके मामले में कोई बरामदगी नहीं हुई है और न ही उसके कब्जे से कोई आपत्तिजनक वस्तु बरामद हुई। कथित बरामदगी, यदि कोई हुई है, तो सह-आरोपी जमीर के कहने पर की गई।
उसने यह भी दलील दी कि वह तीन नाबालिग बच्चों की माँ है, जिनमें से एक मुश्किल से दो साल का है। वर्तमान में उसके साथ जेल में है, जबकि अन्य दो उसके वृद्ध माता-पिता की देखरेख में हैं, जो 91 और 85 वर्ष के हैं। उनका उचित पालन-पोषण करने में असमर्थ हैं।
राज्य ने अपराध की अत्यंत जघन्य और वीभत्स प्रकृति का हवाला देते हुए सजा के निलंबन की याचिका का विरोध किया।
हालांकि, हाईकोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता दस साल नौ महीने और 13 दिन से अधिक समय तक कारावास में रही है और जेल में उसका आचरण संतोषजनक रहा है।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"तथ्य यह है कि यदि ऐसा कोई अवैध संबंध था तो यह समझ से परे है कि अपीलकर्ता ने उसकी हत्या क्यों की। निस्संदेह, उसका पति, जो इस मामले में सह-अभियुक्त है, मृतका से द्वेष या प्रतिशोध रखता होगा, लेकिन अपीलकर्ता के लिए जो कारण बताया गया, वह पर्याप्त रूप से ठोस नहीं लगता।"
कोर्ट का यह भी मत था कि यह नहीं कहा जा सकता कि केवल अपीलकर्ता के कहने पर ही कोई विशिष्ट वसूली हुई।
कोर्ट ने आगे कहा,
"हम इस तथ्य से भी चिंतित हैं कि अपीलकर्ता एक महिला है। उसका एक बच्चा, जो मुश्किल से दो साल का है, उसके साथ जेल में है। उसके वृद्ध माता-पिता उसकी उचित देखभाल करने की स्थिति में नहीं हो सकते हैं।"
इसके साथ ही कोर्ट ने उसे 25,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की एक ज़मानत देने पर सज़ा निलंबित की।
Case title: Rajia @ Sabbo v. State