नौकरी छोड़ने के बाद कर्मचारी को काम से नहीं रोका जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट ने नॉन-कम्पीट क्लॉज अवैध करार दिया

Update: 2025-06-26 07:56 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार 25 जून को यह स्पष्ट रूप से कहा कि किसी कर्मचारी को नौकरी छोड़ने के बाद नई नौकरी करने से रोकने वाला नॉन-कम्पीट क्लॉज (Non-Compete Clause) अवैध है और भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 27 के विरुद्ध है। अदालत ने कहा कि इस तरह के प्रावधान कर्मचारी के रोजगार के अधिकार पर रोक लगाते हैं जो कानूनन अमान्य है।

धारा 27 के अनुसार कोई भी अनुबंध जो व्यापार या व्यवसाय में प्रतिबंध लगाता है, वह शून्य (Void) माना जाता है।

जस्टिस तेजस करिया ने अपने निर्णय में कहा,

“नौकरी समाप्त होने के बाद नॉन-कम्पीट क्लॉज केवल उन्हीं परिस्थितियों में लागू किया जा सकता है, जब वह नियोक्ता की गोपनीय या विशिष्ट जानकारी की रक्षा करे या कर्मचारी को नियोक्ता के ग्राहकों को आकर्षित करने से रोके। लेकिन किसी कर्मचारी को बिल्कुल भी काम करने से रोकना न्यायोचित नहीं है।”

अदालत ने यह भी कहा,

“किसी कर्मचारी को ऐसी स्थिति में नहीं डाला जा सकता, जहां उसके पास या तो पिछले नियोक्ता के साथ काम करने का ही विकल्प हो या फिर वह बेरोजगार रहे। इस तरह के निगेटिव क्लॉज (प्रतिबंधात्मक शर्तें) आमतौर पर कठोरता से देखी जाती हैं, क्योंकि नियोक्ता को कर्मचारी पर ऊपरी लाभ होता है। इसके अलावा, कर्मचारी के पास इन शर्तों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।”

मामले की पृष्ठभूमि:

अपीलकर्ता वरुण त्यागी उत्तरदायी कंपनी Daffodil Software Pvt. Ltd. में सॉफ्टवेयर डेवेलपर के रूप में कार्यरत थे और उन्हें एक प्रोजेक्ट में डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन (DIC) के साथ काम सौंपा गया था। बाद में उन्होंने इस्तीफा देकर DIC में नौकरी स्वीकार कर ली।

Daffodil Software ने वरुण के इस ट्रांसफर पर आपत्ति जताई और उनके रोजगार अनुबंध में मौजूद नॉन-कम्पीट क्लॉज का हवाला देते हुए कहा कि वरुण ने प्रोजेक्ट के दौरान विशिष्ट तकनीकी जानकारी प्राप्त की थी, जो उनके लिए गोपनीय थी और जिसका उपयोग वह DIC में कर सकते हैं।

कंपनी ने तर्क दिया कि यह प्रतिबंध सीमित है और केवल DIC के लिए तीन वर्षों तक लागू है। बाकी अन्य कंपनियों में उन्हें काम करने से नहीं रोका गया।

वहीं वरुण त्यागी ने तर्क दिया कि धारा 27 के तहत किसी भी व्यक्ति की आजीविका कमाने की स्वतंत्रता को रोका नहीं जा सकता और एक बार अनुबंध समाप्त हो जाने पर कोई भी प्रतिबंध वैध नहीं माना जा सकता।

ट्रायल कोर्ट ने पहले अंतरिम आदेश के ज़रिए वरुण को DIC में नौकरी करने से रोका था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

हाईकोर्ट का निर्णय:

दिल्ली हाईकोर्ट ने American Express Bank Ltd. बनाम प्रिया मलिक (2006) मामले का हवाला देते हुए कहा कि गोपनीयता की आड़ में नियोक्ता कर्मचारी पर अनुचित प्रतिबंध नहीं लगा सकता।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि DIC और Daffodil के बीच का अनुबंध केवल जनशक्ति (Manpower) की आपूर्ति तक सीमित था और प्रोजेक्ट से जुड़ा सॉफ्टवेयर कोड और दस्तावेजों पर बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) DIC के पास ही है।

इसलिए Daffodil का यह डर कि वरुण कंपनी की गोपनीय जानकारी साझा कर देंगे पूरी तरह अनुचित और गलतफहमी पर आधारित है।

इस आधार पर हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए अपील को मंज़ूर कर लिया।

केस टाइटल: वरुण त्यागी बनाम डैफोडिल सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड

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