दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना नदी में छठ पूजा मनाने की अनुमति देने की जनहित याचिका खारिज की, सरकार ने नदी के प्रदूषण स्तर को चिन्हित किया

Update: 2024-11-06 09:49 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को गीता कॉलोनी में छठ पूजा का त्योहार मनाने की राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी के किनारे बने घाट पर अनुमति देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की।

चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने पूर्वांचल नव निर्माण संस्थान द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज की, जिसमें कहा गया कि यमुना नदी के किनारे छठ पूजा करना, इसके प्रदूषण स्तर को देखते हुए श्रद्धालुओं के लिए हानिकारक होगा।

दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि इस समय यमुना नदी अत्यधिक प्रदूषित है। अगर श्रद्धालुओं को नदी के किनारे छठ पूजा करने की अनुमति दी जाती है तो उनके बीमार पड़ने की संभावना है।

उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में छठ पूजा करने के लिए 1,000 स्थान निर्धारित किए। इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई।

याचिका खारिज करते हुए अदालत ने शबनम बर्नी मामले में अपने हाल के आदेश पर ध्यान दिया, जिसमें इस तथ्य के बारे में न्यायिक संज्ञान लिया गया कि यमुना नदी में प्रदूषण अब तक के उच्चतम स्तर पर है।

न्यायालय ने कहा,

"उपर्युक्त तथ्यों के साथ-साथ कल से छठ पूजा शुरू होने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस न्यायालय का विचार है कि जनहित याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता।”

इसे खारिज किया जाता है।

याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि छठ पूजा करने पर प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए। जब उन्होंने कहा कि यमुना नदी के तल को साफ किया जा सकता है तो चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की,

"यह चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसे रातों-रात नहीं किया जा सकता। यदि आप सफाई प्रक्रिया में शामिल होना चाहते हैं तो वहां काम करें। आज समस्या यह है कि हम यमुना में सीवेज नहीं बहा सकते। हम आज यमुना में सीवेज बहा रहे हैं। चाहे वह औद्योगिक सीवेज हो या हमारा अपना सीवेज। किनारों पर बनी अनधिकृत कॉलोनियों को देखें। उनका अनुपचारित सीवेज इसमें जा रहा है।"

उन्होंने आगे कहा,

"समस्या यह है कि यह सब हमारे दिमाग में है। हमारा दिमाग हमें बताता है कि अगर वे यहीं रहे और यमुना को प्रदूषित करना जारी रखा तो हम वोट तो पा लेंगे लेकिन चुनाव नहीं जीत पाएंगे। हम याचिका पर विचार कर रहे हैं, 241 झुग्गी वासी पूरे शहर को बंधक बनाए हुए हैं। क्यों? क्योंकि पानी को यमुना में जाने नहीं दिया जा रहा है। सरकार उन्हें फ्लैट या पुनर्आवंटन नहीं देगी। वे उन्हें वहीं रखेंगे ताकि पूरे झुग्गी वासियों को यह संदेश जाए कि वे उनके हितों की रक्षा कर रहे हैं। सभी राजनेता वहां जाएंगे और लंबे भाषण देंगे। केवल 241! वे शहर के पानी को यमुना में बहने नहीं देंगे क्योंकि अगर वह बहता है। अगर वे 241 हटा दिए जाते हैं तो उनके पास चुनाव लड़ने के लिए कोई नारा नहीं होगा।"

उन्होंने आगे कहा,

"आज हमारी मानसिकता को साफ करने की जरूरत है। समस्या यह है कि हमारे मन में यमुना की गंदगी है। हम अपने मन को साफ नहीं कर रहे हैं। यह कहते हुए दुख हो रहा है और अगर आप इसे साफ कर सकते हैं, तो आप यमुना को बहुत जल्दी साफ कर सकते हैं। दुर्भाग्य से आज हमारे विचारों में कोई एकमत नहीं है कि हमें यमुना को साफ करना है। यह प्राथमिकता नहीं है।"

केस टाइटल: पूर्वांचल नव निर्माण संस्थान बनाम जीएनसीटीडी

Tags:    

Similar News