दिल्ली हाईकोर्ट ने अभिजीत अय्यर मित्रा को भेजा समन, न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा पश्चाताप की पूर्ण कमी के आधार पर मानहानि मामले को जारी रखने की मांग

Update: 2025-05-26 10:06 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार 26 मई को राजनैतिक विश्लेषक अभिजीत अय्यर मित्रा को मानहानि मामले में समन जारी किया। यह मामला डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म न्यूज़लॉन्ड्री की नौ महिला पत्रकारों द्वारा दाखिल किया गया। मित्रा पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर उक्त महिला पत्रकारों को 'वेश्या' कहकर संबोधित किया।

इन महिला पत्रकारों में मनीषा पांडे, इशिता प्रदीप, सुहासिनी विश्वास, सुमेधा मित्तल, तीस्ता रॉय चौधरी, तसनीम फातिमा, प्रिया जैन, जयश्री अरुणाचलम और प्रियाली ढींगरा शामिल हैं। न्यूज़लॉन्ड्री स्वयं भी इस मुकदमे में एक वादी (Plaintiff) है।

पिछली सुनवाई के बाद अभिजीत अय्यर मित्रा ने संबंधित पोस्ट्स हटा दिए। आज की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वादी पक्ष के वकील से यह निर्देश प्राप्त किया कि वादीगण मुकदमा जारी रखना चाहते हैं या समाप्त करना। जब मामला दोबारा पुकारा गया तो वादी पक्ष की वकील बानी दीक्षित ने जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव को सूचित किया कि वादी मुकदमा जारी रखना चाहते हैं। इसके बाद अदालत ने मित्रा को समन जारी किया।

मित्रा की ओर से सीनियर वकील ने दलील दी कि सभी ट्वीट्स हटाए जा चुके हैं और मामले को खारिज किया जाना चाहिए। साथ ही थोड़े समय की मांग की।

हालांकि अदालत ने कहा,

आपको मुद्दे पर रहना होगा। आज हम आपकी लिखित बयान (WS) नहीं देख सकते। चूंकि मानहानिकारक सामग्री हटा दी गई है अब केवल क्षतिपूर्ति का प्रश्न शेष है।”

फिर अदालत ने आदेश में कहा,

"वादियों के वकीलों की बात सुनी गई। इस चरण में वादी पक्ष के वकील ने कहा कि पोस्ट को छोड़कर बाकी पोस्ट हटा दी गईं। प्रतिवादी की ओर से सीनियर वकील ने कहा कि वह बचा हुआ पोस्ट भी हटा दिया गया। यह बयान रिकॉर्ड पर ले लिया गया। वादी पक्ष ने कहा कि दीवानी वाद में निषेधाज्ञा और क्षतिपूर्ति की मांग की गई। तर्कों को देखते हुए अदालत ने समन जारी करने का निर्देश दिया।"

अदालत ने प्रतिवादियों को लिखित वक्तव्य (Written Submissions) दायर करने की अनुमति दी और मित्रा के सीनियर वकील की इस दलील को दर्ज किया कि अब इस वाद का कोई औचित्य नहीं बचा, क्योंकि पोस्ट्स हटा दिए गए। उन्होंने यह भी कहा कि पोस्ट मानहानिकारक नहीं थे।

अदालत ने कहा,

“इस विषय पर निर्णय अंतिम तर्कों के दौरान किया जाएगा। अंतरिम आदेश तब तक प्रभावी रहेगा। इस बीच यदि प्रतिवादी द्वारा कोई और मानहानिकारक पोस्ट की जाती है तो वादीगण उपयुक्त आवेदन दाखिल करने के लिए स्वतंत्र होंगे।”

सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की वकील दीक्षित ने कहा कि पिछले आदेश के बाद छह पोस्ट तो हटा दी गई लेकिन दो पोस्ट अब भी प्रसारित हो रही हैं, जिनकी ओर उन्होंने अदालत का ध्यान आकर्षित किया।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने यह कहते हुए मित्रा की दलीलें सुनने से इनकार कर दिया कि पहले वह पोस्ट हटा लें। पत्रकारों का आरोप है कि मित्रा ने उनके खिलाफ यौन अपमानजनक पोस्ट किए और न्यूज़लॉन्ड्री को कोठा बताया।

इन ट्वीट्स का अवलोकन करते हुए जस्टिस कौरव ने मौखिक टिप्पणी की थी,

"क्या आप इन शब्दों का बचाव कर सकते हैं? चाहे पृष्ठभूमि जो भी हो, क्या महिलाओं के खिलाफ इस तरह की भाषा समाज में स्वीकार्य हो सकती है? आपको ये पोस्ट हटाने होंगे, तभी हम आपकी बात सुनेंगे।"

पिछली सुनवाई में मित्रा के वकील ने पोस्ट हटाने की सहमति दी थी।

सुनवाई में वादी पक्ष ने यह कहा कि मित्रा के व्यवहार में पश्चाताप की पूर्णतः कमी रही है। अदालत ने कहा कि यदि वादीगण को कोई और शिकायत है तो वे शपथ पत्र के माध्यम से उसे प्रस्तुत कर सकते हैं।

मित्रा के वकील ने कहा कि आदेश का पूरा पालन किया गया लेकिन दीक्षित ने एक पोस्ट की ओर ध्यान दिलाया जिसे अभी भी हटाया नहीं गया था।

इस पर अदालत ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी ने खुद सामने आकर पोस्ट हटाए और कोई निषेधाज्ञा नहीं थी। इसलिए उन्हें स्वतंत्रता दी जा सकती है कि आगे यदि कुछ होता है तो वादी फिर अदालत का रुख कर सकते हैं।

दीक्षित ने यह भी कहा कि मित्रा ने अदालत के आदेश पर एक टिप्पणी भी की थी लेकिन अदालत ने उस पर विचार करने से मना कर दिया।

इस बीच मित्रा की ओर से सीनियर वकील ने यह भी कहा कि वादी पक्ष का आवेदन खर्च के साथ खारिज किया जाना चाहिए और चैनल (न्यूज़लॉन्ड्री) के खिलाफ जांच होनी चाहिए।

इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा,

"आपके पास उसका उपाय उपलब्ध है। आज हम प्रतिवादी पक्ष से कह रहे हैं कि चूंकि पोस्ट हटा दिए गए। अब आपको पता चल गया कि 'लक्ष्मण रेखा' कहां है, मुझे लगता है कि अब आपका मुवक्किल समझ गया होगा। मुझे नहीं लगता कि अब कोई विवाद शेष है, जिसे निर्णय की आवश्यकता है।"

मित्रा के वकील ने यह भी आरोप लगाया कि न्यूज़लॉन्ड्री सबसे उकसाने वाला चैनल है। उसने प्रधानमंत्री और इटली की प्रधानमंत्री के रिश्तों को लेकर आरोप लगाए।

अदालत ने कहा कि जब तक पोस्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आते हैं, वे स्वीकार्य हैं। इस स्तर पर अदालत ने मौखिक रूप से संकेत दिया कि वह इस वाद को निपटाने के पक्ष में है।

टाइटल: Manisha Pande and Ors v. Abhijit Iyer Mitra and Anr.

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