'एक ही लेन-देन नहीं': दिल्ली हाइकोर्ट ने UAPA मामलों में सजा एक साथ चलाने की मांग करने वाली दोषी की याचिका खारिज की

Update: 2024-06-08 07:59 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने UAPA के दो मामलों में दोषी द्वारा जेल की सजा एक साथ चलाने की मांग वाली याचिका खारिज की। उक्त याचिका में कहा गया कि उसके द्वारा किए गए अपराध एक ही लेन-देन का हिस्सा नहीं हैं।

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने मोहसिन इब्राहिम सैय्यद द्वारा दायर याचिका खारिज की। मोहसिन को ग्रेटर बॉम्बे और राष्ट्रीय राजधानी में एनआईए अदालतों द्वारा दोषी ठहराया गया था। उसे क्रमशः आठ और सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।

अदालत ने कहा कि एक मामले में सैयद को अर्धकुंभ मेले के दौरान हरिद्वार शहर में हमला करने की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया, जबकि दूसरे मामले में उसे युवाओं की भर्ती सहित ISIS गतिविधियों को बढ़ावा देने और हिंदू महासभा के नेता की हत्या की योजना बनाने के लिए दोषी ठहराया गया।

न्यायालय ने कहा,

“इस न्यायालय की राय है कि दोनों मामलों में किए गए अपराध, जिसके लिए याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया गया है, इनको "एक ही लेन-देन" का हिस्सा नहीं कहा जा सकता।

इसमें यह भी कहा गया कि केवल इसलिए कि सैय्यद को दोनों मामलों में आईपीसी और UAPA के समान प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया, वह उसे एक साथ सजा देने का अधिकार नहीं दे सकता, क्योंकि दोनों मामलों के तथ्य एक ही लेन-देन का हिस्सा नहीं हैं।

इसके अलावा जस्टिस शर्मा ने कहा कि लगातार सजा का मतलब सैय्यद के लिए कुल पंद्रह साल की कैद होगी, लेकिन उसे दोनों में से किसी भी न्यायालय द्वारा अधिकतम सजा नहीं दी गई, जो आजीवन कारावास हो सकती थी।

माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिपादित समग्रता सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए भी इस न्यायालय की राय है कि याचिकाकर्ता को पहले से ही दोनों ट्रायल न्यायालयों द्वारा कम सजा दी गई। इस प्रकार आठ साल और सात साल की सजा का लगातार चलना उसके द्वारा किए गए अपराध के मुकाबले सजा की कुल अवधि के मामले में याचिकाकर्ता के लिए पूर्वाग्रह पैदा नहीं करेगा।

न्यायालय ने कहा,

“इससे न केवल देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, बल्कि निर्दोष नागरिकों और संस्थाओं को अंधाधुंध तरीके से निशाना बनाकर समाज के ताने-बाने को भी खतरा है, जिसका उद्देश्य देश के आम और निर्दोष नागरिकों में भय पैदा करना है। इस तरह की आतंकवादी गतिविधियों का समाज पर गहरा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इन अपराधों में समुदायों के बीच भय और असुरक्षा फैलाने की क्षमता होती है साथ ही सामाजिक सद्भाव को भी बाधित करता है। इनके परिणामस्वरूप निर्दोष लोगों की जान भी जाती है संपत्ति का विनाश होता है और क्षेत्रों में अस्थिरता आती है। ये प्रभाव अक्सर लंबे समय तक चलते हैं।”

केस टाइटल- मोहसिन इब्राहिम सईद बनाम एनआईए

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