BJP विधायकों ने वित्त, प्रदूषण, शराब पर 12 सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया

Update: 2024-10-28 10:18 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (28 अक्टूबर) को विभिन्न BJP नेताओं द्वारा दायर याचिका को मंगलवार को सूचीबद्ध करने की अनुमति दी। उक्त याचिका में दिल्ली सरकार को वित्त, प्रदूषण, प्रशासन और शराब से संबंधित 12 सीएजी रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेजने का निर्देश देने की मांग की गई, जिससे उन्हें विधानसभा में पेश किया जा सके।

सीनियर एडवोकेट जयंत मेहता ने चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया, जिसने मंगलवार (29 अक्टूबर) को इसे सूचीबद्ध करने की अनुमति दी।

मेहता ने कहा,

"दिल्ली सरकार के कामकाज से संबंधित 12 सीएजी रिपोर्ट सदन के पटल पर नहीं रखी गई। अधिनियम के तहत एलजी पर निर्णय लेने का दायित्व है। हम इस पर आदेश चाहते हैं।"

पीठ ने कहा,

"कल।"

यह याचिका दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और छह BJP विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने दायर की।

इसमें कहा गया कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को भारत के संविधान के अध्याय V के तहत उच्च गुणवत्ता वाले लेखा परीक्षण और लेखांकन के माध्यम से जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने का अधिकार है।

इसमें कहा गया कि सीएजी एक संवैधानिक निगरानी संस्था है, जिसका उद्देश्य जनता, विधायिका और कार्यपालिका को स्वतंत्र और विश्वसनीय आश्वासन प्रदान करना है कि सार्वजनिक धन एकत्र किया जा रहा है। उसका प्रभावी और कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।

इसमें कहा गया कि दिल्ली में वित्त प्रदूषण, प्रशासन और शराब से संबंधित "12 सीएजी रिपोर्ट" दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय, GNCTD द्वारा एलजी के समक्ष नहीं रखी गई।

इसमें कहा गया कि 2017-2018 से 2021-2022 तक की कोई भी रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश नहीं की जा रही है क्योंकि प्रधान सचिव (वित्त) ने आज तक दिल्ली के उपराज्यपाल को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा। याचिका में दावा किया गया कि देरी केवल प्रक्रियागत चूक नहीं है बल्कि हमारे संवैधानिक दायित्वों का गंभीर उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया कि 12 CAG रिपोर्ट को रोककर रखने और LG को प्रस्ताव न भेजने में दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय की निष्क्रियता घोर अवैध है संवैधानिक और वैधानिक निर्देशों का उल्लंघन है और जनता के विश्वास का हनन है।

इसमें आगे कहा गया कि संवैधानिक प्रमुख होने के नाते प्रतिवादी नंबर 4 (LG) न केवल राज्य की वित्तीय स्थिति जानने के हकदार हैं, बल्कि उक्त ऑडिट रिपोर्ट को विधानसभा के समक्ष रखने के लिए भी उनका कर्तव्य है।

इसमें आगे कहा गया कि 12 CAG रिपोर्ट को रोकना सरकार की वित्तीय स्थिति जानने के जनता के अधिकार का उल्लंघन है। इसमें कहा गया कि ऑडिट रिपोर्ट को दबानाकार्यपालिका को ऐसे कार्यों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो सार्वजनिक हित के लिए नहीं हैं।

याचिका में दिल्ली सरकार के वित्त मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई कि वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 151(2), लेखापरीक्षा और लेखा विनियमन के विनियमन 210(1) (विधानसभा के समक्ष रखने के लिए ऑडिट रिपोर्ट की प्रतियां अग्रेषित करना) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम की धारा 48 के तहत अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए एलजी को एक प्रस्ताव भेजे।

संविधान के अनुच्छेद 151(2) के अनुसार, किसी राज्य के खातों से संबंधित सीएजी रिपोर्ट राज्य के राज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी, जो उन्हें राज्य के विधानमंडल के समक्ष रखवाएगा।

GNCTD Act की धारा 48 में कहा गया कि धारा 46 की उप-धारा (1) में निर्दिष्ट तिथि के बाद किसी भी अवधि के लिए राजधानी के खातों से संबंधित सीएजी रिपोर्ट उपराज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी, जो उन्हें विधानसभा के समक्ष रखवाएगा।

केस टाइटल: विजेंद्र गुप्ता एवं अन्य बनाम जीएनसीटीडी एवं अन्य

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