पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक जेल से हुए रिहा: SGI तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट में बताया
दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और लद्दाख से उनके सहयोगी, जिन्हें कथित तौर पर कुछ मांगों को उठाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करते समय हिरासत में लिया गया था, रिहा कर दिए गए और उन्हें मुक्त कर दिया गया।
SGI तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष यह दलील दी।
SGI ने अग्रिम सूचना पर उपस्थित होते हुए निर्देश पर कहा कि वांगचुक और उनके सहयोगियों को मुक्त कर दिया गया है और उनकी गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
उन्होंने न्यायालय को यह भी बताया कि दिल्ली पुलिस आयुक्त द्वारा 30 सितंबर को जारी निषेधाज्ञा जिसके तहत 30 सितंबर से 5 अक्टूबर तक किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने और धरना देने पर रोक लगाई गई थी, उसको 2 अक्टूबर के आदेश के तहत वापस ले लिया गया।
इस दलील के मद्देनजर न्यायालय ने मुस्तफा हाजी और आजाद द्वारा वांगचुक और उनके साथियों की रिहाई की मांग करने वाली दो याचिकाओं का निपटारा कर दिया।
हाजी की ओर से पेश हुए एडवोकेट विक्रम हेगड़े ने स्वीकार किया कि व्यक्तियों को रिहा कर दिया गया।
तीसरे याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण भी पेश हुए। हालांकि, सुनवाई के दौरान उक्त मामले की फाइल पीठ के समक्ष नहीं थी। उन्होंने कहा कि उनके निर्देशानुसार कुछ व्यक्तियों को अंबेडकर भवन ले जाया गया और उन्हें वहां रोक दिया गया।
उन्होंने कहा,
"वे जलवायु जागरूकता आदि बढ़ाने के लिए जंतर-मंतर जाना चाहते थे लेकिन उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं है।"
SGI ने अपने निर्देश दोहराए और कहा कि व्यक्तियों को रिहा कर दिया गया।
मामले की फाइल न्यायालय के समक्ष नहीं थी। इसलिए पीठ ने कहा कि वह मामले को सूचीबद्ध करने के बाद बाद में मामले को उठाएगी।
जलवायु कार्यकर्ता पिछले महीने लेह में शुरू हुई दिल्ली चलो पदयात्रा नामक मार्च का नेतृत्व कर रहे थे। उन्हें 30 सितंबर की रात को लद्दाख के 120 अन्य लोगों के साथ सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया गया।
मार्च का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा किया गया। LAB, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ मिलकर लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।
केस टाइटल: मुस्तफा हाजी बनाम भारत संघ और अन्य संबंधित मामले