'दुखद स्थिति' | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य केंद्र के फर्श पर महिला द्वारा बच्चे को जन्म देने का स्वतः संज्ञान लिया

Update: 2024-06-11 08:06 GMT

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को एक समाचार पत्र में छपी उस घटना का स्वतः संज्ञान लिया जिसमें राज्य के अंबिकापुर उप स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला को डॉक्टर/नर्स की अनुपस्थिति के कारण फर्श पर बच्चे को जन्म देना पड़ा।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की पीठ ने इसे "बहुत खेदजनक स्थिति" बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों के मामलों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी उस समय अनुपस्थित रहते हैं जब उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है।

मूलतः, संबंधित समाचार रिपोर्ट (जिस पर खंडपीठ ने मामले का संज्ञान लिया) में कहा गया है कि 8 जून, 2024 को सरगुजा जिले (अंबिकापुर) के नवानगर उप स्वास्थ्य केंद्र में एक 25 वर्षीय गर्भवती महिला ने अपने बच्चे को फर्श पर जन्म दिया और वह भी किसी डॉक्टर या नर्स की अनुपस्थिति में।

समाचार पत्र ने आगे कहा कि उक्त महिला प्रसव पीड़ा से पीड़ित होकर मितानिन (सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के साथ उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी। फिर भी, न तो कोई डॉक्टर और न ही कोई नर्स मौजूद थी, इसलिए महिला को उप स्वास्थ्य केंद्र के फर्श पर बच्चे को जन्म देना पड़ा।

खबरों के अनुसार, महिला के परिजनों ने मेडिकल स्टाफ से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला और इस तरह मितानिन ने बच्चे को जन्म देने में मदद की।

गांव की पारंपरिक दाई ने प्रसव के बाद की देखभाल भी की, क्योंकि उक्त स्वास्थ्य केंद्र में केवल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही उपलब्ध था। यह भी बताया ्गया कि यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह की घटना हुई हो।

राज्य सरकार से सख्त कदम उठाने का आह्वान करते हुए खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के सचिव को घटना के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

सचिव को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि ऑनलाइन वायरल किए गए वीडियो को आगे प्रसारित होने से तुरंत रोका जाए।

जब पूछा गया कि संबंधित चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है, तो अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कहा कि जांच के आदेश दे दिए गए हैं और अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

इन दलीलों को रिकॉर्ड पर लेते हुए, न्यायालय ने राज्य सरकार के सचिव को निर्देश दिया कि वे उक्त उप स्वास्थ्य केंद्र में किसी अन्य चिकित्सा अधिकारी की तैनाती के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में न्यायालय को सूचित करें, क्योंकि संबंधित दोषी चिकित्सा अधिकारी को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

मामले की अगली सुनवाई 14 जून को होगी।

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