विकलांग कर्मचारी रोज सीढ़ियां चढ़ने को मजबूर: सरकारी भवन में खराब लिफ्ट और बुनियादी सुविधाओं की कमी पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त, स्वतः संज्ञान लिया
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्थानीय हिंदी अखबार में प्रकाशित समाचार का स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के समेकित सरकारी भवन की दयनीय स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है।
खबर में बताया गया था कि लगभग छह माह से भवन की लिफ्ट बंद पड़ी है, जिसके कारण रोज़ाना आने-जाने वाले करीब 500 कर्मचारी और आगंतुक जिनमें चार विकलांग कर्मचारी भी शामिल हैं, गंभीर परेशानी झेलने को मजबूर हैं। भवन में पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।
यह समेकित सरकारी भवन वर्ष 2023 में करीब 8 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। इसमें 22 अलग-अलग सरकारी विभागों के कार्यालय संचालित होते हैं।
मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि भवन की लिफ्ट पिछले छह माह से खराब है और नई लिफ्ट लगाई जा रही है लेकिन स्थापना कार्य में लगातार देरी के कारण वह भी अब तक चालू नहीं हो सकी है।
तीन मंजिला भवन में कुल 72 सीढ़ियाँ हैं और लिफ्ट के बिना यह पूरा परिसर कर्मचारियों के लिए कठिनाई का केंद्र बन गया है। सबसे अधिक दिक्कत विकलांग कर्मचारियों को हो रही है। एक विकलांग कर्मचारी के बारे में रिपोर्ट में उल्लेख था कि वह रोज़ बैसाखियों और रेलिंग के सहारे पहली मंजिल तक चढ़ने को मजबूर है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा,
“हर दिन दोहराई जाने वाली यह दिनचर्या विकलांग कर्मचारियों द्वारा झेली जा रही गंभीर शारीरिक तकलीफ को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है।”
समाचार रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सरकारी नियमों के अनुसार सभी सार्वजनिक भवनों में विकलांगजनों की सुविधा हेतु कार्यशील लिफ्ट, रैंप और व्हीलचेयर की व्यवस्था अनिवार्य है। यदि लिफ्ट खराब हो तो तब तक अस्थायी व्यवस्था जैसे निचली मंजिल पर काम के लिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए।
न्यायालय ने टिप्पणी की,
“समेकित भवन की स्थिति इन निर्देशों की पूरी तरह अनदेखी दर्शाती है, क्योंकि छह माह से लिफ्ट बंद होने के बावजूद कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।”
लिफ्ट की मरम्मत में देरी और नई लिफ्ट के निर्माण में सुस्ती ने संबंधित विभागों की संवेदनहीनता और अक्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट में पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी को भी गंभीर चिंता का विषय बताया गया।
मामले को सार्वजनिक महत्व का मुद्दा मानते हुए न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के सचिव को निर्देश दिया कि वे व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें, जिसमें निम्न विवरण हों-
पुरानी लिफ्ट की मरम्मत की वर्तमान स्थिति, नई लिफ्ट में देरी के कारण दोनों लिफ्टों के चालू होने की निश्चित समयसीमा और भवन में दिव्यांग-सुलभ व्यवस्था तथा मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए उठाए जा रहे कदम।
इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को निर्धारित की गई।