छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 4 जिला न्यायालयों में डिजिटलीकरण केंद्र और आपराधिक मामलों के लिए ई-समन सुविधा शुरू की

Update: 2025-06-26 06:09 GMT

छत्तीसगढ़ में राज्य न्यायपालिका के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा और बेमेतरा के जिला एवं सत्र न्यायालयों में डिजिटलीकरण केंद्रों का 25 जून 2025 को वर्चुअल मोड के माध्यम से औपचारिक उद्घाटन किया गया।

इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के 23 सिविल जिलों में जिला अस्पतालों में आपराधिक मामलों के लिए ई-समन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा का औपचारिक शुभारंभ भी किया गया। इस पहल का उद्देश्य राज्य न्यायपालिका की पारदर्शिता, प्रशासनिक दक्षता और न्याय तक निर्बाध पहुँच के प्रति चल रही प्रतिबद्धता में महत्वपूर्ण प्रगति करना है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने किया उद्घाटन

इस अवसर की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने की और उनके साथ जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास भी शामिल हुए, जो कम्प्यूटरीकरण समिति के अध्यक्ष भी हैं। संबंधित जिलों के पोर्टफोलियो न्यायाधीशों और कम्प्यूटरीकरण समिति के सदस्यों, रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्री के अधिकारियों सहित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने प्रदान किए गए वर्चुअल लिंक के माध्यम से कार्यक्रम देखा।

इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, न्यायिक अधिकारी, जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक, बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, डिजिटलीकरण टीम के सदस्य और संबंधित जिलों के न्यायालय कर्मी भी उपस्थित थे। अपने उद्घाटन भाषण में मुख्य न्यायाधीश सिन्हा ने सभी 23 जिलों में डिजिटलीकरण केंद्रों के उद्घाटन के सफल समापन पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह छत्तीसगढ़ के न्यायिक इतिहास में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है।

अपने भाषण में क्या बोले चीफ जस्टिस

मुख्य न्यायाधीश ने न्याय वितरण तंत्र को मजबूत करने में डिजिटलीकरण की अपरिहार्य भूमिका को भी रेखांकित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि इन डिजिटलीकरण केंद्रों की स्थापना न्यायिक प्रशासन में मजबूत तकनीकी ढांचे को एकीकृत करने के हमारे प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल कागज रहित, त्वरित और नागरिक-केंद्रित न्यायिक प्रणाली में विकसित होने की हमारी आकांक्षा के अनुरूप है।

मुख्य न्यायाधीश ने जिला न्यायपालिका और कम्प्यूटरीकरण समिति के समन्वित प्रयासों की भी सराहना की, जिनकी सक्रिय निगरानी ने परियोजना का समय पर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया। मुख्य न्यायाधीश ने छत्तीसगढ़ के तेईस सिविल जिलों में आपराधिक मामलों के लिए ई-समन प्रणाली और जिला अस्पतालों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के शुभारंभ की भी सराहना की।

उन्होंने कहा कि ये पहल केवल तकनीकी उन्नयन नहीं हैं, बल्कि दक्षता, पारदर्शिता और सुलभता के साधन हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अस्पतालों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं से जोड़ने से न केवल चिकित्सा साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया में समय की बचत होगी, बल्कि डॉक्टरों को न्यायालय आने-जाने में लगने वाले समय में भी कमी आएगी। इन प्रगतियों के साथ, राज्य न्यायपालिका का लक्ष्य प्रक्रियात्मक देरी को कम करना, संस्थानों के बीच त्वरित संचार सुनिश्चित करना और न्यायिक प्रक्रिया में शामिल सभी हितधारकों की सुविधा को बढ़ाना है।

मुख्य न्यायाधीश सिन्हा ने आगे कहा कि ई-समन प्रणाली के कार्यान्वयन से शीघ्र और सत्यापन योग्य वितरण सुनिश्चित होगा, देरी को समाप्त किया जा सकेगा और गैर-प्राप्ति के बहाने किसी भी तरह की चोरी को रोका जा सकेगा, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं में दक्षता और जवाबदेही को मजबूती मिलेगी।

कार्यवाही की शुरुआत श्री बृजेंद्र कुमार शास्त्री, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बेमेतरा के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद एक क्यूरेटेड ऑडियो-विजुअल प्रेजेंटेशन दिया गया, जिसमें डिजिटलीकरण केंद्रों की बुनियादी संरचना और परिचालन क्षमता और आपराधिक मामलों के लिए ई-समन और जिला अस्पतालों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के दायरे को प्रदर्शित किया गया।

कार्यक्रम का समापन श्री जितेंद्र कुमार, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रायगढ़ द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने माननीय मुख्य न्यायाधीश, माननीय न्यायाधीशों, प्रशासनिक पदाधिकारियों और तकनीकी टीमों की गहरी सराहना की, जिनके अटूट समर्पण ने इस विजन को साकार किया।

यह उद्घाटन ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना और डिजिटल इंडिया पहल के लक्ष्यों के अनुरूप न्यायिक बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे दूरदर्शी, नागरिक-केंद्रित और डिजिटल रूप से सशक्त न्याय के प्रतीक के रूप में इसकी प्रतिष्ठा मजबूत होती है।

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