'बच्चों के मन में न्याय वितरण प्रणाली के बार में नकारात्मक धारणाएं बन रही हैं', केरल हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट में चाइल्ड फ्रेंडली कमरों की शुरुआत का सुझाव दिया
केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने राज्य की सभी फैमिली कोर्टों में चाइल्ड फ्रेंडली कमरों की शुरुआत का सुझाव दिया है।
कोर्ट ने यह पता लगने के बाद कि फैमिली कोर्ट्स बुनियादी ढांचे की कमी और सुविधाओं के अभाव में काम कर रहे है, उक्त सुझाव दिया है। कोर्ट ने इस प्रकार डिस्ट्रिक्ट कोर्ट रजिस्ट्रार को सभी फैमिली कोर्ट्स के आसपास के क्षेत्र में कार्यरत पॉक्सो कोर्टों की संख्या पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने और सभी फैमिली कोर्ट्स में एक अलग कमरा बनाने की संभावना का पता लगाने का निर्देश दिया है।
जस्टिस ए मोहम्मद मुस्ताक और जस्टिस सीएस डायस की खंडपीठ ने कहा कि भीड़भाड़ और खचाखच भरे परिसरों में छोटे बच्चों को अक्सर डर लगता है। वह देश की न्याय वितरण प्रणाली के बारे में गलत विचार के साथ अदालतों का दौरा करने के लिए मजबूर होते हैं।
पीठ ने कहा,
"यह एक ज्ञात मामला है कि अधिकांश फैमिली कोर्ट पर्याप्त बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के बिना लीज के परिसरों में काम कर रहे हैं। यहां तक कि उन बच्चों के लिए वेटिंग रूम भी नहीं है, जिन्हें कोर्ट में माता-पिता तक प्रवेश, मुलाकात के अधिकार और अंतरिम हिरासत प्रदान करने के लिए लाया जाता है। कुछ फैमिली कोर्ट्स में, बच्चे और पार्टियां पूरे दिन खचाखच भरे गलियारों में और यहां तक कि सड़कों पर खड़े दिखाई देते हैं। भीड़भाड़ वाली अदालतें और परिसर, वास्तव में, युवा दिमाग को प्रभावित करते हैं, जो देश में न्याय वितरण प्रणाली के बारे में नकारात्मक धारणाएं बनातै हैं।"
फैमिली कोर्ट में अभ्यासरत एडवोकेट आर लीला ने इन अदालतों की "दयनीय स्थिति" ने इस मुद्दे पर बेंच का ध्यान दिलाया था, जिसने याचिकाओं के एक बैच पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा कि पोक्सो अदालतों ने चाइल्ड फ्रेंडली जगहें बनाई हैं, जहां बच्चों के श्रेष्ठतक हित में परिवेश को अनुकूल बनाया गया है। बेंच ने पूछा कि क्या फैमिली कोर्ट में ऐसी व्यवस्था पेश की जा सकती है और इस तरह के प्रयास की संभावना के बारे में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट रजिस्ट्रार से रिपोर्ट मांगी गई है।
पीठ ने यह भी नोट किया कि मामले में अधिकांश याचिकाओं में फैमिली कोर्ट हाईकोर्ट द्वारा शिजू जॉय बनाम निशा में जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं, विशेष रूप से समयबद्ध तरीके से इंटरलोक्यूटरी आवेदनों के त्वरित निपटान संबंधित याचिकाओं में।
इसलिए रजिस्ट्रार (डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिसयरी) को भी फैमिली कोर्टों के सभी पीठासीन अधिकारियों को हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करने और सभी मामलों में दायर किए गए इंटरलोक्यूटरी आवेदनों को समयबद्ध तरीके से निपटाने के लिए सूचित करने का निर्देश दिया गया था।
29 जुलाई को मामले पर आगे विचार किया जाएगा।
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 311