जब तक संविधान/सांविधिक प्रावधानों का उल्लंघन कर सार्वजनिक कार्यालय में नियुक्ति नहीं की जाती तब तक क्वो वारंटो की रिट जारी नहीं की जा सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में डॉ शांत एवरहल्ली थिमैया की नियुक्ति के खिलाफ एक स्नातकोत्तर कानून की छात्रा द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी है।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने पुष्पा बी गावडी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा,
"जब सार्वजनिक पद के धारक को संविधान या वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर नियुक्त किया गया है तो को वारंटो (Writ of Quo Warranto) की रिट जारी की जा सकती है। मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता यह प्रदर्शित करने में सक्षम नहीं है कि प्रतिवादी संख्या 4 को कि वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन कर नियुक्त किया गया है। "
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उनके नामांकन से दो महीने पहले, थिमैया मेटामोर्फोसिस लैब प्राइवेट लिमिटेड और महर्षि अयस्क प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक थे और इसलिए जल (प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम, 1974 की धारा 6 (1) (ई) में निहित रोक को देखते हुए हितों के टकराव के कारण उन्हें अध्यक्ष के रूप में नामित करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने याचिका का विरोध किया और प्रस्तुत किया कि थिमैया के नाम की सिफारिश 'कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के के सदस्य सचिव की नियुक्ति, अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा के नियम और शर्तें नामांकन के लिए दिशानिर्देश' के मद्देनजर की गई थी, जिसे तेची टैगी तारा बनाम राजेंद्र सिंह भंडारी और अन्य, (2018) 11 एससीसी 734 में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार तय किया गया था। यह दलील दी गई कि थिमैया का चयन किसी भी अयोग्यता से ग्रस्त नहीं थे।
परिणाम
खंडपीठ ने नोट किया, तेची टागी तारा (सुप्रा) में सुप्रीम कोर्ट निर्देश दिया था कि राज्य सरकार को छह महीने की अवधि के भीतर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आवश्यकता के अनुसार उचित दिशानिर्देश/भर्ती नियम तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
उक्त निर्देश के अनुपालन में कर्नाटक सरकार ने 19.06.2020 के एक आदेश द्वारा दिशा-निर्देश तैयार किए। उपर्युक्त दिशानिर्देशों का पैरा 3 शैक्षिक योग्यता प्रदान करता है, जबकि पैरा 4 आयु सीमा से संबंधित है। पैरा 5 खोज-सह-चयन समिति के गठन का प्रावधान करता है।
कोर्ट ने आगे कहा,
"बेशक, प्रतिवादी संख्या 4 के पास उक्त योग्यता है।अयोग्यता से संबंधित अधिनियम की धारा 6(1)(ई) का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता का यह मामला नहीं है कि नामांकन के समय प्रतिवादी संख्या 4 या तो कंपनी का निदेशक था या एक फर्म का भागीदार। इस प्रकार, अधिनियम की धारा 6(1)(ई) का कोई उल्लंघन नहीं है।"
तदनुसार, इसने याचिका को खारिज कर दिया।
केस टाइटल: पुष्पा बी गावडी बनाम कर्नाटक सरकार
मामला संख्या: WP No 22546 of 2021
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर) 334