एक महिला, जिसके साथ सड़क पर छेड़छाड़ हो रही है, उसे अपराध में भागीदार मानकर मुकदमा नहीं चलाया जा सकताः रिचर्ड गेयर किसिंग मामले में शिल्पा शेट्टी के आरोपमुक्त होने पर मुंबई की अदालत ने कहा

Update: 2023-04-11 15:13 GMT

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के खिलाफ 2007 में दर्ज अश्लीलता मामले में सेशन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक महिला, जिसके साथ सड़कों पर छेड़छाड़ हो रही है, उसे अपराध में भागीदार मानकर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एससी जाधव ने कहा,

"एक महिला, जिसके साथ सड़क पर या आम रास्ते पर या सार्वजनिक परिवहन में छेड़छाड़ हो रही है, उसे आरोपी या मानसिक अपराध की सीमा तक सहभागी नहीं माना जा सकता है और उसे अभियोजन के लिए उत्तरदायी बनाने के लिए अवैध गलती का जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।"

जनवरी 2022 में, मुंबई स्थित एक मजिस्ट्रेट की अदालत ने शेट्टी को मामले से मुक्त कर दिया और कहा कि शेट्टी-गेयर के कृत्यों का शिकार प्रतीत होता है और किसी भी कथित अपराध का एक भी तत्व संतुष्ट नहीं था।

मूल शिकायतकर्ता ने अपनी आरोपमुक्ति के खिलाफ सत्र न्यायालय में आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन दायर किया‌ था। शेट्टी ने दावा किया कि वह मामले में मूल शिकायतकर्ता के हाथों दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही और उत्पीड़न की शिकार हो रही हैं। उन्होंने उत्पीड़न के मामले में मूल शिकायतकर्ता पर भारी जुर्माना लगाने की भी मांग की ‌है।

यह मामला 15 साल पुराना है। सह-आरोपी हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेयर और शिल्पा शेट्टी 15 अप्रैल, 2007 को बाहरी दिल्ली में एड्स जागरूकता कार्यक्रम में शामिल हुए थे। कार्यक्रम के दरमियान गेयर ने जागरूकता फैलाने के लिए शेट्टी के गालों पर किस किया। वह चुंबन एक सुरक्षित कार्य था, जिससे एचआईवी का संचरण नहीं हो सकता था।

घटना के बाद, शेट्टी और गेयर दोनों पर आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 120-बी, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 4 और 6 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद राजस्थान पुलिस ने आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन के रूप में शेट्टी को आरोपमुक्त करने के खिलाफ सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अपने जवाब में शेट्टी ने पुनरीक्षण आवेदन को खारिज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि उन पर कोई भी धारा लागू नहीं होगी।

मूल रूप से राजस्थान के अलवर में दर्ज मामले को सुप्रीम कोर्ट ने शेट्टी की ओर से दिए आवेदन पर मुंबई स्थानांतरित कर दिया था।

सत्र न्यायालय ने पाया कि किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रथम दृष्टया नाराज़गी की सामग्री के अभाव में अशोभनीय और अश्लील कृत्य आईपीसी की धारा 294 के तहत मुकदमा चलाने का वारंट नहीं होगा।

Tags:    

Similar News