ऐसे वकीलों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएंगे, जिनके आचरण से पूरे पेशे की छवि बिगड़ती है: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2021-02-09 07:03 GMT

Madras High Court

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को वकीलों के एक समूह को भूमि हड़पने के मामले के कथित रूप से गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने पर कड़ी फटकार लगाई।

जस्टिस एन आनंद वेंकटेश की एकल पीठ ने कहा कि जब अधिवक्ताओं के आचरण की बात आती है, तो कोर्ट बिल्कुल सहिष्णुता न दिखाए और यह सुनिश्चित करे कि कुछ वकीलों की गतिविधियां पूरे पेशे की छवि खराब न करें।

कोर्ट ने यह ‌टिप्पणी इस जानकारी के बाद की कि कुछ अधिवक्ताओं ने एक विवादित संपत्ति का ताला खोलने का और जबरन कब्जा करने का प्रयास किया था।

कोर्ट को आगे जानकारी दी गई थी कि प्रतिदिन व्यक्तियों का एक समूह, जिसमें कथित रूप से वकील शामिल हैं, उस संपत्ति में आते हैं और कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करते हैं।

जज ने आदेश में दर्ज किया, "बताया गया है कि कुछ वकील भी इस गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा बनते हैं। वकीलों की उपस्थिति के कारण यह बताया गया है कि प्रतिवादी पुलिस संपत्ति को संरक्षण देने में संकोच कर रही है।"

याचिकाकर्ता ने ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि पुलिस भी उपद्रव‌ियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने में भी संकोच कर रही है।

जज ने कहा कि इस प्रकार की प्रैक्टिस अतीत में भी रही हैं, हालांकि अदालत ने वकीलों को निलंबित करने जैसे कड़ी कार्रवाइयां करके स्थिति को नियंत्रण में लाया है।

उन्होंने कहा, "यह पिछले एक महीने में तीसरा अवसर है, जब इस अदालत का ध्यान वकीलों की गैरकानूनी गतिविधियों की खींचा गया है, जब वे गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा बनकर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे या संपत्त‌ि हड़पने का प्रयास किया।"

उन्होंने कहा कि इस तरह की घृणित प्रवृत्त‌ि को लॉकडाउन में बढ़ावा मिला है और कोर्ट ऐसी गतिविध‌ियों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चा‌हिए।

इस पृष्ठभूमि में, पीठ ने संबंधित अधिकारियों को उपलब्ध तस्वीरों और वीडियो फुटेज की जांच करने, बदमाश अधिवक्ताओं की पहचान करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

यह रिपोर्ट कोर्ट को बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु एंड पांडिचेरी के समक्ष संबंधित वकीलों की ‌‌शिकायत करने और आवश्यक कार्रवाई करवाने का आधार भी बनाएगी।

आदेश में कहा गया है, "जब वकीलों के आचरण की बात आती है, तो अदालत बिल्कुल भी सहिष्णुता न दिखाए और कोर्ट को यह सुनिश्चित करे कि अधिवक्ताओं की गतिविधियां पूरे पेशे की छवि खराब न करें।"

यह मामला 2 मार्च, 2021 को आदेश के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

केस टाइटिल: पीएस किरुबाकरन बनाम पुलिस आयुक्त और अन्य।

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