सफेदपोश अपराध अचानक उकसावे से नहीं बल्कि परिणामों की गहरी समझ के साथ किए जाते हैं: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2022-10-30 08:52 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने विभिन्न बैंकों से 10,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के कथित मामले में सुराणा ग्रुप ऑफ कंपनीज के पूर्व सीईओ को जमानत देने से इनकार करते हुए हाल ही में कहा कि सफेदपोश अपराध समाज के लिए विशेष रूप से हानिकारक हैं, क्योंकि वे शिक्षित और प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा किए जात हैं, जो अपने कार्यों के परिणाम को समझते हैं।

जस्टिस एडी जगदीश चंडीरा ने आदेश में कहा,

इस प्रकार के सफेदपोश अपराध समाज के लिए विशेष रूप से हानिकारक हैं क्योंकि वे न केवल शिक्षित, बल्कि अच्छी तरह से शिक्षित और प्रभावित व्यक्तियों द्वारा किए जाते हैं, जिनसे एक नैतिक उदाहरण स्थापित करने और जिम्मेदारी से व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है।

वित्तीय संस्थानों को धोखा देकर सार्वजनिक धन की हेराफेरी की कपटपूर्ण गतिविधि किसी भी अन्य अपराध के विपरीत है जो अचानक उकसावे द्वारा किया जा सकता था क्योंकि यह परिणामों की गहरी समझ और पूरी कैलकुलेशन के साथ किया गया है।

पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में जब अदालत को प्रथम दृष्टया मामला लगता है, तो वह इस बात पर संतोष दर्ज नहीं कर सकती है कि जमानत पर रहने के दौरान आरोपी के कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।

इसलिए, अगर अदालत को ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला मिलता है, तो वह संतोष नहीं कर सकती है कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि आरोपी इस तरह के अपराध का दोषी नहीं है और उसके द्वारा जमानत पर रहते हुए कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।

बैकग्राउंड

अदालत राहुल दिनेश सुराणा द्वारा दायर जमानत याचिका पर विचार कर रही थी, जिस पर अन्य लोगों के साथ विभिन्न बैंकों से कुछ शेल और पपेट कंपनियों के नाम पर वित्तीय सहायता के माध्यम से प्राप्त भारी सार्वजनिक धन की हेराफेरी के अपराध में शामिल होने का आरोप है। मामले की जांच सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस द्वारा की जा रही है।

अदालत ने कहा कि हालांकि याचिकाकर्ता ने निर्दोष होने का दावा किया है, लेकिन यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि उसने कंपनी के मामलों में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। एक तरफ, उसने दावा किया कि उसे धोखाधड़ी की गतिविधि के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और दूसरी तरफ उसने कंपनी को पुनर्जीवित करने और पुनर्स्थापित करने के लिए जिम्मेदार होने की बात स्वीकार की।

अदालत ने आगे कहा कि उन्होंने वाणिज्यिक और वित्तीय लेनदेन के प्रभारी व्यक्ति के रूप में विभिन्न दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। इसने यह भी कहा कि यह दिखाने के लिए अन्य सबूत हैं कि उसने और अन्य आरोपियों ने बैंकों को धोखा देने और धन के गबन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता उसके खिलाफ जारी एक लुक आउट सर्कुलर को चुनौती देने वाली याचिका में उसे जारी क्लीन चिट पर भरोसा नहीं कर सकता क्योंकि उसे इस तरह की कार्यवाही से जुड़े मामले में आरोपी के रूप में नहीं रखा गया था।

वर्तमान मामले में, हालांकि, अदालत ने कहा, उसे एक आरोपी के रूप में रखा गया था और अपराध में उसकी भूमिका के बारे में प्रथम दृष्टया सामग्री थी।

इस प्रकार, यह पाते हुए कि वह कंपनी अधिनियम की धारा 447 के तहत दंडनीय अपराध के लिए जमानत देने के लिए कंपनी अधिनियम की धारा 212(6)(ii) के तहत लगाई गई शर्तों को पूरा करने में विफल रहा, अदालत ने याचिकाओं को खारिज कर दिया।

केस टाइटल: राहुल दिनेश सुराणा बनाम वरिष्ठ सहायक निदेशक, सीरियस फ्रॉर्ड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Mad) 446

केस नंबर: Crl.O.P.No.21728 of 2022

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