वक्फ ट्रिब्यूनल नोटिस जारी करने के लिए जुर्माना जमा करने पर जोर नहीं दे सकता: गुजरात हाईकोर्ट

Update: 2023-02-27 05:21 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने माना कि गुजरात राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल (प्रक्रिया) नियम, 1998 के तहत ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है जिसके द्वारा गुजरात राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल अपने समक्ष दायर याचिका पर नोटिस जारी करने के लिए जुर्माना जमा करने पर जोर दे सके।

याचिकाकर्ता का मामला यह है कि याचिकाकर्ता के पूर्वजों ने तीर्थयात्रियों को आवास देने के लिए 'मुसाफिर खाना' के निर्माण के लिए भूमि प्रतिवादी नंबर 2 को दान की थी।

हालांकि, राज्य सरकार (प्रतिवादी नंबर 1) ने गेस्ट हाउस का निर्माण किया और उसका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया।

याचिकाकर्ता ने गेस्ट हाउस के अवैध निर्माण और उपयोग को रोकने के लिए गुजरात स्टेट वक्फ ट्रिब्यूनल (ट्रिब्यूनल) में आवेदन दायर किया था।

ट्रिब्यूनल ने 23.02.2022 के आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता न तो ट्रस्ट का लाभार्थी है और न ही वक्फ में रुचि रखने वाला व्यक्ति है। उसने याचिकाकर्ता को 20,000 रुपये का जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया, जिससे संबंधित आवेदन में उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया जा सके।

अदालत ने पाया कि गुजरात राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल (प्रक्रिया) नियम, 1998 किसी भी प्रक्रिया के लिए प्रदान नहीं करता, जिसके द्वारा ट्रिब्यूनल नोटिस जारी करने के लिए जुर्माना पर जोर दे सकता है।

इसलिए अदालत ने विवादित आदेश रद्द कर दिया और ट्रिब्यूनल को आवेदन दर्ज करने और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने और कानून के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: अशोकभाई नरसिंह ठाकोर/पढ़ियार बनाम गुजरात राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल (अध्यक्ष के माध्यम से)

कोरम: जस्टिस बीरेन वैष्णव

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