अभद्र भाषा के साथ सीन क्रिएट करने के लिए पति के ऑफिस में बार-बार जाना क्रूरता की श्रेणी में आएगा: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक की डिग्री बरकरार रखी

Update: 2022-08-29 06:54 GMT

Chhattisgarh High Court

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति के पक्ष में दी गई तलाक की डिक्री को बरकरार रखते हुए हाल ही में कहा कि पत्नी का पति के ऑफिस में जाना और अपमानजनक भाषा के साथ सीन क्रिएट क्रूरता की श्रेणी में गिना जाएगा।

जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने अवलोकन किया,

"जब पत्नी पति के ऑफिस में जाती है, उसे गाली देती है और उस पर अवैध संबंध रखने का आरोप लगाती है तो स्वाभाविक रूप से इससे सहकर्मियों के सामने पति की छवि खराब हो जाएगी। ऑफिस में उसका कद निश्चित रूप से नीचे चला जाएगा।"

कोर्ट का यह भी विचार था कि ससुराल वालों को गाली देना, पति को उसके माता-पिता से मिलने से रोकना और पति को अपने छोटे भाई के विवाह समारोह को छोड़ने के लिए मजबूर करना भी अप्राकृतिक क्रूर कार्य हैं, क्योंकि इस तरह के कृत्यों से सार्वजनिक जीवन में परिवार की छवि और प्रतिष्ठा को नुकसान होगा, जो क्रूरता की श्रेणी में आ सकता है।

संक्षेप में मामला

पत्नी (नलिनी मिश्रा) ने फ़ैमिली कोर्ट, रायपुर द्वारा पारित निर्णय और डिक्री दिनांक 17.12.2019 के खिलाफ वर्तमान अपील दायर की, जिसमें पति द्वारा क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग करने वाले आवेदन को स्वीकार किया गया था।

पति ने पत्नी के खिलाफ कई आरोप लगाए कि वह अपनी पसंद के हिसाब से पैसे खर्च करती है और पति के अपने माता-पिता से मिलने पर आपत्ति जताती है। अंततः उसे अपने माता-पिता से मिलने से रोक दिया गया। यह कहा जाता है कि जब भी वह अपने माता-पिता से मिलने जाना चाहता तो उसकी पत्नी उसे गाली देती, जिसके परिणामस्वरूप पति की उसके माता-पिता से मुलाकात रुक जाती।

यह कहा गया कि भले ही पति को उसके सगे भाई और पति की मामा की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए रोका गया, जब वह बाहर से परीक्षा देने के लिए उनके घर जाना चाहता था, पत्नी ने पति के साथ लड़की के अवैध संबंधों का आरोप लगाया।

यह भी आरोप लगाया गया कि उसकी पत्नी ने पति के खिलाफ विवाहेतर संबंध के झूठे आरोप लगाए और वह सीन क्रिएट करने के लिए पति के ऑफिस तक गई। उसने मुख्यमंत्री को उसके ट्रांसफर के लिए पत्र भी लिखा।

फैमिली कोर्ट ने तथ्यों और सबूतों का मूल्यांकन करने के बाद पति के आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिससे तलाक की डिक्री दी गई।

न्यायालय की टिप्पणियां

अपने समक्ष मौजूद साक्ष्यों का समग्र मूल्यांकन करते हुए न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अपीलकर्ता/पत्नी तुच्छ मुद्दों पर पति को गाली देती है, जिसके बारे में पति ने कई बार पुलिस में शिकायत की और उसने पत्नी के उतावले और अपमानजनक व्यवहार की भी रिपोर्ट की। ।

अदालत ने यह भी कहा कि यह साबित हो गया है कि पत्नी ने शादी से बाहर अन्य महिला के साथ पति के अवैध संबंध का आरोप लगाया। यहां तक ​​कि पत्नी ने मुख्यमंत्री को पति को विशेष पद से ट्रांसफर करने की शिकायत भी की। उसने पति के ऑफिस में भी उस पर अवैध संबंध रखने का आरोप लगाया।

इसके अलावा, अदालत ने पीडब्ल्यू के बयानों को भी ध्यान में रखा, जिससे यह स्थापित हुआ कि पत्नी पति के ऑफिस में जाती है और अपमानजनक भाषा के साथ सीन क्रिएट करती है।

समग्र साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि फ़ैमिली कोर्ट द्वारा पारित निर्णय और डिक्री में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार, एचसी ने फ़ैमिली कोर्ट द्वारा प्राप्त निष्कर्ष की पुष्टि की।

केस टाइटल- नलिनी मिश्रा बनाम सुरेंद्र कुमार पटेल [एफए (एमएटी) नंबर 8 ऑफ 2020]

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