वंदे भारत पत्थरबाजी केस - 'क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कथित बयान आईपीसी की धारा 153ए के दायरे में आता है?': कलकत्ता हाईकोर्ट ने एजी से जवाब मांगा

Update: 2023-03-06 12:19 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह राज्य के एडवोकेट जनरल से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या जनवरी 2023 की वंदे भारत ट्रेन पत्थरबाजी की घटना की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक कथित बयान ( कथित रूप से बंगाल और बिहार के निवासियों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाला बयान) आईपीसी की धारा 153A के दायरे में आता है या नहीं।

उल्लेखनीय है कि आईपीसी की धारा 153ए धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के अपराध से संबंधित है।

यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि विचाराधीन बयान कथित तौर पर सीएम द्वारा एक सार्वजनिक बैठक में दिया गया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उक्त घटना (पत्थरबाजी) बंगाल राज्य में नहीं हुई, बल्कि यह बिहार राज्य में हुई। कथित तौर पर उन्होंने अपने बयान में पश्चिम बंगाल को बदनाम करने की कोशिश की निंदा भी की थी।

जस्टिस बिबेक चौधरी की पीठ ने राज्य के महाधिवक्ता से जवाब मांगा है, दरअसल टीवी टुडे नेटवर्क की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें नेटवर्क और उसके पत्रकार के खिलाफ 2 जनवरी, 2023 और 3 जनवरी, 2023 को वंदे भारत एक्सप्रेस की खिड़की के शीशे को तोड़ने की घटनाओं के संबंध में किए गए कुछ ट्विटर पोस्ट के संबंध में दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की गई है।

टीवी टुडे के डिप्टी एडिटर कुंडू की ओर से किए गए ट्विटर पोस्ट की सामग्री का अवलोकन करने के बाद, कोर्ट ने शुरुआत में कहा कि टीवी टुडे नेटवर्क और उसके डिप्टी एडिटर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत प्रथम दृष्टया कोई अपराध नहीं बनता है।

हालांकि, कोर्ट ने सीएम बनर्जी के कथित बयान पर ध्यान दिया और इस बात पर विचार किया कि क्या इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत दुश्मनी को बढ़ावा देने के तत्व शामिल हैं।

कोर्ट ने कहा,

"...यह अदालत जानना चाहती है कि क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से की गई पोस्ट में धर्म, जाति, जन्म स्थान निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के तत्व प्रथम दृष्टया शामिल हैं और और भारतीय दंड संहिता की धारा 153A के अनुसार सद्भाव के प्रतिकूल कार्य किए गए हैं। मौजूदा मामले में यह बंगाल और बिहार के निवासियों के बीच है। यदि ऐसा है, तो ऐसी पोस्ट को भी एक अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए।"

कोर्ट ने कहा,

"इस मुद्दे पर वह राज्य के विद्वान महाधिवक्ता को सुनना चाहेगी।"

नतीजतन, अदालत ने आदेश दिया कि आदेश की एक प्रति महाधिवक्ता को दी जाए और मामले को 10 मार्च को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। गौरतलब है कि कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को टीवी टुडे और उसके डिप्टी एडिटर कुंडू के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा, एजी की सुनवाई के बाद टीवी टूडे की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करने के संबंध में एक आदेश पारित किया जाएगा।

सीएम बनर्जी के बयान का शाब्दिक अनुवाद (मूल रूप से बंगाली में) इस प्रकार है,

"यह बंगाल में नहीं हुआ है। यह बिहार में हुआ है। बिहार में लोग व्य‌थ‌ित हो सकते हैं। भले ही बिहार में लोगों ने ऐसी घटना की हो, आप उनका अपमान नहीं कर सकते। मुझे लगता है कि उन्हें भी प्राप्त करने का अधिकार है, सिर्फ इसलिए कि भाजपा वहां नहीं है इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें नहीं मिलना चाहिए। और वंदे भारत क्या है?.. इंजन को छोड़कर एक पुरानी ट्रेन को रंग दिया गया है और उसका नवीनीकरण किया गया है। यहां से कितनी पुरानी ट्रेनें वापस ले ली गई हैं। अपने कार्यकाल के दौरान, मैं एक साल में कम से कम 100 ट्रेनें देती थी। लेकिन पिछले 11 साल में इसको छोड़कर एक भी नई ट्रेन नहीं दी गई। जो लोग बंगाल का अपमान करते हैं, मैं उनकी निंदा करती हूं और हम फर्जी खबरों से निपटने के लिए व्यवस्था करेंगे।'

[आरात्रिका भौमिक के इनपुट्स के साथ]

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