उपहार अग्निकांड: दिल्ली कोर्ट ने साक्ष्य छेड़छाड़ मामले में अंसल बंधुओं की सजा बरकरार रखी

Update: 2022-07-18 10:11 GMT

दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल और गोपाल अंसल की अपील को खारिज कर दिया। इस अपील में साल 1997 में हुई उपहार अग्निकांड के संबंध में सबूतों से छेड़छाड़ मामले में उनकी दोषसिद्धि और सात साल की जेल सजा को चुनौती दी गई थी।

पटियाला हाउस कोर्ट के जिला जज धर्मेश शर्मा ने इस महीने की शुरुआत में अपील पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। अब उन्होंने यह आदेश सुनाया है।

कोर्ट ने कोर्ट के पूर्व स्टाफ दिनेश चंद शर्मा और पीपी बत्रा की अपील को भी खारिज कर दिया। हालांकि अनूप सिंह की अपील को मंजूर कर लिया गया।

अदालत मंगलवार को सजा पर दी जाने वाली नई दलीलों पर सुनवाई करेगी।

सीएमएम पंकज शर्मा ने अंसल और अन्य को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 201, 120 बी और 409 के तहत दोषी ठहराया है।

13 जून, 1997 को उपहार सिनेमा की आग में 59 लोगों की जान चली गई और 103 लोग घायल हो गए। इस दौरान दर्शक उस साल की सबसे बड़ी बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्म 'बॉर्डर' देख रहे थे।

दिल्ली का पॉश उपहार सिनेमा रियल एस्टेट दिग्गजों और भाइयों सुशील और गोपाल अंसल के स्वामित्व में था। 95 सुनवाई के बाद अंसल को आखिरकार दोषी ठहराया गया। 8 नवंबर, 2021 को सात साल जेल की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही सबूतों से छेड़छाड़ मामले में कोर्ट ने प्रत्येक अंसल पर 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया।

अदालत ने अदालत के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा और दो अन्य पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी सात साल की जेल की सजा सुनाई और उनमें से प्रत्येक पर तीन लाख का जुर्माना लगाया।

इससे पहले हाईकोर्ट ने सजा के निलंबन के लिए दोनों की याचिका को खारिज कर दिया था। इसमें कहा गया था कि यह न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने के समान होगा, क्योंकि यह दोषियों को समय बीतने के साथ-साथ लाभ उठाने की अनुमति देगा।

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