दिल्ली दंगों की साज़िश केस: उमर खालिद ने 93 बरी मामलों में से 17 में सबूत गढ़ने का लगाया आरोप, चार्जशीट को बताया सिर्फ़ कहानी
दिल्ली के कड़कड़डूमा अदालत में बुधवार को पूर्व JNU शोधार्थी उमर खालिद ने 2020 उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अब तक दर्ज 750 मामलों में से 93 में आरोपी बरी हो चुके हैं और इनमें से 17 मामलों में सेशन कोर्ट्स ने यह पाया कि दिल्ली पुलिस ने सबूत गढ़े काल्पनिक गवाह बनाए और बिना किसी आधार के लोगों को फ़ंसाया
खालिद की ओर से सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पैस ने एडिशनल सेशन जज समीर बाजपेयी के समक्ष दलील दी। पैस ने विभिन्न अदालतों के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं रही और कई मामलों में गढ़े हुए सबूतों के आधार पर निर्दोष लोगों को फंसाया गया।
यह मामला एफआईआर 59/2020 से जुड़ा है जिसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दर्ज किया था। पुलिस ने खालिद और अन्य पर यूएपीए के तहत दिल्ली दंगों की बड़ी साज़िश रचने का आरोप लगाया है।
खालिद ने कहा कि दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (DPSG) के जिन सदस्यों ने सबसे ज़्यादा संदेश लिखे उन्हें इस केस में आरोपी तक नहीं बनाया गया।
उन्होंने अदालत से सवाल किया,
“अगर मेरा उनसे कनेक्शन है तो वे आरोपी क्यों नहीं हैं? और अगर वे आरोपी नहीं हैं तो सिर्फ़ मुझे क्यों फंसाया गया।”
पेस ने यह भी कहा कि पुलिस की चार्जशीट दोष सिद्ध करने की बजाय महज़ पुलिस की राय और कहानी बयान करती है।
उन्होंने कहा,
“यह चार्जशीट दोष की ओर इशारा नहीं करती बल्कि सिर्फ़ पुलिस की राय बताती है। यह किसी किस्सागोई जैसी है।”
उन्होंने गवाहों की गढ़ी हुई गवाही पर भी सवाल उठाए और कहा कि कई गवाह चमत्कारिक ढंग से खालिद की गिरफ़्तारी के छह से आठ महीने बाद सामने आए।
इस मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
ग़ौरतलब है कि खालिद 13 सितंबर 2020 से हिरासत में हैं और उन्हें हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है जहां उनकी अर्जी 27 अक्टूबर को सुनी जाएगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया शरजील इमाम और उमर खालिद की भूमिका गंभीर है क्योंकि उन्होंने कथित रूप से साम्प्रदायिक आधार पर भाषण दिए और समुदाय विशेष के लोगों को उकसाकर बड़ी भीड़ जुटाने का प्रयास किया। अदालत ने यह भी कहा कि मुक़दमे की प्रक्रिया को स्वाभाविक रूप से चलना चाहिए और जल्दबाज़ी में ट्रायल चलाना न तो राज्य के हित में होगा और न ही आरोपियों के।
एफआईआर 59/2020 में UAPA और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कई अन्य आरोपियों को भी शामिल किया गया है जिनमें ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, इशरत जहाँ, मीरान हैदर, शिफ़ा-उर-रहमान, आसिफ़ इक़बाल तनहा, शादाब अहमद, सलीम मलिक, आतहर ख़ान, सफ़ूरा जरगर, शरजील इमाम, देवांगना कलीता, फैज़ान ख़ान और नताशा नरवाल शामिल हैं।
सफ़ूरा जरगर को जून 2020 में गर्भावस्था के चलते मानवीय आधार पर ज़मानत मिली थी जबकि जून 2021 में हाईकोर्ट ने सुनवाई के आधार पर आसिफ़ इक़बाल तनहा, देवांगना कलीता और नताशा नरवाल को ज़मानत दी थी।