त्रिपुरा में व‌िवाह समारोह रुकवाने का मामलाः त्रिपुरा हाईकोर्ट ने कहा, निष्पक्ष जांच के लिए डीएम को अगरतला से बाहर भेजना आवश्यक

Update: 2021-05-05 06:57 GMT

अगरतला में 26 अप्रैल, 2021 को एक विवाह समरोह को रुकवाने के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर त्रिपुरा हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है।

मामले में जिला अधिकारी और उनकी टीम ने अगरतला में एक विवाह समारोह को रुकवा दिया था, उनका आरोप था कि समारोह COVID कर्फ्यू के तहत निर्धारित समयावध‌ि के बाद भी जारी था। जन‌हित याचिका में डीएम पर अपने अध‌िकारों का दुरुपयोग करने के लिए आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई है। मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

चीफ ज‌स्ट‌िस अकील कुरैशी और जस्टिस एसजी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने नोटिस जारी करने के साथ ही कई अंतरिम निर्देश जारी किए, जिसमें डीएम को अगरतला से बाहर भेजने का निर्देशा भी शामिल है। प्रथम दृष्टया विचार रखने के बाद कि ऐसा करना " घटना और उसमें डीएम की भूमिका की निष्पक्ष जांच" के लिए ऐसा करना आवश्यक होगा, कोर्ट ने उक्त निर्देश दिया।

विवाह कराने वाले पुजारी की ओर से दायर याचिका मे दावा किया गया है कि डीएम ने "उपस्थित लोगों के साथ अनुचित व्यवहार किया था और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया"। याचिका में डीएम के खिलाफ व्यक्तिगत आपराधिक कार्रवाई और उनकी टीम के सदस्यों के खिलाफ विभागीय जांच कराने की प्रार्थना की गई है।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, राज्य सरकार ने इस घटना की जांच करने और घटना की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो सदस्यीय समिति का गठन किया था। 2 मई 2021 को डीएम को निलंबित भी कर दिया गया।

कैमरे पर मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने का कि मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है और पीआईएल में कुछ प्रार्थनाओं पर सुनवाई की जा सकती है।

न्यायालय ने कहा कि डीएम की अगुवाई वाली टीम के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई के ‌लिए की गई प्रार्थना पर विचार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे "केवल अपने सीनियरों के आदेशों को पूरा कर रहे ‌थे।"

कोर्ट ने कहा, "भले ही इस तरह के आदेश जारी करने में कमी रही गई हो या प्राधिकरण ने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघर किया हो, सहायक कर्मचारी को उसके कार्यों के लिए जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता है। ऐसे समय जब पूरे देश में कोरोना वायरस के प्रबंधन की एक अत्यंत कठिन स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। हम निश्चित रूप से फुट सोल्जर्स को यह संकेत नहीं भेजेंगे कि वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन करने पर उन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।''

अदालत ने डीएम से अनुरोध किया कि वे अगले आदेश तक घटना के संबंध में कोई सार्वजनिक बयान न दें।

राज्य की ओर से पेश एडवोकेट जनरल की ओर से कार्यवाही को मीडिया में न प्रकाशित करने के अनुरोध पर, कोर्ट ने कहा, "हम इस तरह के किसी भी आदेश को जारी करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। प्रेस की स्वतंत्रता एक मूल्यवान मौलिक अधिकार है और सूचना तक पहुंच लोगों के अधिकार से संबंधित है। इस तरह के अधिकार को कम नहीं किया जा सकता है।"

याचिका में उत्तरदाताओं को नोटिस जारी करते हुए, न्यायालय ने निम्नलिखित अंतरिम निर्देश जारी किए:

- हम प्रथम दृष्टया मानते हैं कि घटना और उसमें डीएम की भूमिका की निष्पक्ष जांच के लिए डीएम को अगरतला से बाहर स्थानांतरित कर दिया जाए। ऐसी किसी भी जांच के लिए जरूरी है कि गवाहों के बयान दर्ज किए जाएं। डीएम के अगरतला में रहते हुए गवाहों का आगे आना और घटना का सत्यतापूर्ण विवरण देना मुश्क‌िल होगा।

- जिला मजिस्ट्रेट 26 अप्रैल, 2021 की रात की घटना और उसके बाद लंबित जांच के संबंध में मीडिया में कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं देंगे, चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया हो।

- अगले आदेश तक जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ गठित जांच आगे नहीं बढ़ेगी।

- जिला मजिस्ट्रेट 26 अप्रैल, 2021 की घटना के बाद मैर‌िज हाल के लाइसेंस को निलंबित करने के किसी भी आदेश को, अगर उन्होंने दिया है, तो उसे रिकॉर्ड पर रखेंगे।

- याचिकाकर्ता और एडवोकेट जनरल इस आदेश के पहले भाग में दी गई जानकारी और दस्तावेजों की आपूर्ति करेंगे।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई 2021 को होगी।

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