हरियाणा कोर्ट ने 61-वर्षीय महिला की कान की बाली छीनने के अपराध में दोषी को 10 साल जेल की सजा सुनाई, 25000 रुपये जुर्माना लगाया

Update: 2023-01-05 12:38 GMT

हरियाणा की एक अदालत ने हाल ही में एक व्यक्ति को 61 वर्षीय महिला की कान की बाली छीनने के अपराध में दस साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। घटना में महिला के बाएं कान में चोट आई ‌थी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, पानीपत निशांत शर्मा ने दोषी को सजा सुनाते हुए कहा,

“स्नैचिंग का अपराध तेजी से बढ़ रहा है। यह बेरोजगारी की ऊंची दर या पकड़े की जाने कमतर संभावना के कारण हो सकता है। किसी भी स्थित में यह अपराध अक्षम्य है क्योंकि यह आम नागरिकों विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। इस प्रकार, दोषी न्यायालय से किसी भी प्रकार की उदारता का पात्र नहीं है।”

आरोपी के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 379 बी (चोट के साथ छीनना, गलत तरीके से रोकना या चोट लगने का डर) के तहत मामला दर्ज किया था।

शिकायतकर्ता के अनुसार, वह अपने घर के बाहर सड़क पर मवेशियों को नहला रही थी, तभी एक मोटरसाइकिल सवार ने उसके बाएं कान से बाली छीन ली और मौके से फरार हो गया। महिला की चिकित्सकीय जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि उस पर शारीरिक हमला किया गया था, जिसमें उसका बायां कान कट गया था।

हालांकि, आरोपी ने तर्क दिया कि उसे वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया था। अभियोजन साक्ष्य, शिकायतकर्ता के बयान और चिकित्सकीय साक्ष्य के आधार पर आरोपी को अपराध का दोषी पाया गया।

सजा की मात्रा के निर्धारण के दौरान आरोपी ने कहा कि वह एक गरीब व्यक्ति है। अदालत को बताया गया कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और उसकी देखभाल करने के लिए उसकी एक बूढ़ी मां है और परिवार में उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है।

अभियुक्त की ओर से पेश वकील ने कहा कि उसके खिलाफ एक उदार दृष्टिकोण लिया जा सकता है ताकि दोषी के परिवार को पीड़ा से न गुजरना पड़े।

अदालत ने हालांकि तर्कों को खारिज कर दिया। झपटमारी की बढ़ती घटनाओं और इस तरह के अपराधों की सजा से बचने की धारणा को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने आदेश में कहा,

“दोषी को दस साल की अवधि के लिए कठोर कारावास से गुजरना होगा और 25,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। जुर्माना अदा न करने पर उसे एक साल के अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी।"

केस टाइटल: राज्य बनाम शंकर

साइटेशन: SC/466 ‌Of 2021

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