पुलिसकर्मी के 'एक हज़ार रुपये' रिश्वते लेने के मामले की हाईकोर्ट ने डीजीपी से जांच करने को कहा
पुलिस बल की आंतरिक जवाबदेही पर सवाल उठाने वाले एक मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सहायक उप-निरीक्षक (ASI) द्वारा 1,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए वायरल हुए वीडियो को लेकर सीनियर अधिकारी (SP) को फटकार लगाई। इस घटना के बावजूद, कांस्टेबल को उसकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में "सर्वोत्तम टिप्पणियां" दी गईं और कोई FIR दर्ज नहीं की गई।
जस्टिस जगमोहन बंसल ने अभिलेखों का अवलोकन करते हुए कहा,
"उपर्युक्त दस्तावेज़ों का अवलोकन दर्शाता है कि सोशल मीडिया पर रिश्वत लेते पकड़े गए अधीनस्थ के साथ किस तरह से व्यवहार किया गया। रिश्वत लेते हुए वीडियो होने के बावजूद कोई FIR दर्ज नहीं की गई और मामूली सज़ा दी गई। सर्वोत्तम संभव टिप्पणियां ACR में दर्ज की गईं। पंजाब पुलिस नियम, 1934 (हरियाणा राज्य पर लागू) के नियम 16.28 के अनुसार, सीनियर अधिकारी क्षेत्राधिकार वाले पुलिस अधीक्षक द्वारा पारित आदेश की समीक्षा कर सकते हैं।"
यह याचिका 20.08.2025 के उस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए दायर की गई, जिसके तहत प्रतिवादी ने 10.10.2020 के आदेश द्वारा दी गई निंदा की सज़ा के आधार पर 01.04.2020 से 18.12.2020 तक की अवधि के लिए अपनी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) को कम कर दिया था।
याचिकाकर्ता बिजेन्द्र सिंह का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह एक महिला से ₹1,000 लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई। विभागीय कार्यवाही में यह स्थापित हुआ कि याचिकाकर्ता ने महिला से ₹1,000 लिए, जो एक दोपहिया वाहन पर पीछे बैठी थी।
उक्त वाहन एक 10-11 साल का लड़का चला रहा था। उसने हेलमेट नहीं पहना हुआ था। याचिकाकर्ता को कथित कदाचार का दोषी पाया गया। आरोप है कि उसने अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगते हुए कहा कि उसने चेतावनी देकर वाहन छोड़ दिया और थाना प्रभारी के कहने पर ₹1,000 वापस कर दिए।
अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने 10.10.2020 के आदेश के तहत याचिकाकर्ता को कथित अपराध का दोषी ठहराते हुए आनुपातिक दंड नहीं दिया और निंदा की सजा देकर कार्यवाही का निपटारा कर दिया।
दंड आदेश का अवलोकन करते हुए अदालत ने कहा,
"याचिकाकर्ता को महिला से ₹1,000/- की रिश्वत लेने का दोषी पाए जाने के बावजूद, अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने नगण्य दंड, अर्थात् निंदा, दिया। अप्रैल, 2020 से दिसंबर, 2020 तक की अवधि के लिए याचिकाकर्ता की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में उसी अधिकारी ने उसे ईमानदार और विश्वसनीय अधिकारी घोषित किया।"
अतः, अदालत ने डीजीपी हरियाणा को निर्देश दिया कि वह पुलिस अधीक्षक के कृत्य और आचरण की जांच करें, जिन्होंने उपरोक्त आदेश पारित किया और याचिकाकर्ता की ACR दर्ज की और स्थगित तिथि (14 अक्टूबर) से पहले अपना जवाब दाखिल करें।
Title: BIJENDER SINGH v. STATE OF HARYANA AND OTHERS