तेलंगाना के वकील दंपत्ति की हत्या का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया कहा, मामला हाईकोर्ट में लंबित

Update: 2021-03-19 14:22 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस साल तेलंगाना में एक वकील दंपति की हत्या में एक स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा जांच की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

सीजेआई बोबडे, जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस रामासुब्रमण्यन की तीन जजों वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से याचिका वापस लेने और अपनी इस याचिका को लेकर हाईकोर्ट जाने के लिए कहा।

सुनवाई के दौरान, सीजेआई बोबडे की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने माना कि यह मामला अभी भी तेलंगाना हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह सही है कि तेलंगाना हाईकोर्ट के समक्ष इस मुद्दे पर 3 मामले लंबित हैं, जिनमें मृतक के पिता द्वारा दायर मामला और मुख्य न्यायाधीश के द्वारा स्वतः संज्ञान में लिया गया मामला भी शामिल है।

उन्होंने आगे कहा कि उनकी याचिका की प्रार्थना बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वकीलों की सुरक्षा के बारे में है।

बेंच ने कहा,

"आपको समझना चाहिए कि सुरक्षा हमेशा राज्य सरकार का मामला रहा है। आप इसे वापस लीजिए और हाईकोर्ट में जाकर दायर कीजिए। यदि आप सफल नहीं होते हैं तो आप यहाँ आ सकते हैं।"

कोर्ट एंटी-करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

इससे पहले तेलंगाना हाईकोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी. विजयसेन रेड्डी की खंडपीठ ने हैदराबाद के पास एक वकील दंपति की हत्या पर स्वत: संज्ञान लिया था।

तेलंगाना के एक वकील दंपति, जिन्होंने पहले उनके द्वारा दायर जनहित याचिकाओं के संबंध में उत्पीड़न की शिकायत की थी, उनकी दिन दहाड़े हत्या कर दी गई थी। 

वकील दंपति ने उनके द्वारा दायर जनहित याचिकाओं के संबंध में धमकी और प्रताड़ना की शिकायत की थी। जैसा कि द हिंदू द्वारा रिपोर्ट किया गया है, अधिवक्ता गट्टू वामन राव और उनकी पत्नी पीवी नागमणि मंथनी में एक अदालत के मामले में भाग लेने के बाद हैदराबाद लौट रहे थे, जब उनके वाहन को रोका गया और कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर कई बार चाकू से वार किया।

दंपति को पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दोपहर के समय दम तोड़ दिया।

राव और नागमणि ने मंथानी में एक सीलम रंगाया की कथित हिरासत में मौत के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक पत्र में दंपति ने आरोप लगाया था कि रंगिया को मंथानी पुलिस स्टेशन लाया गया था और चार दिनों तक लॉक-अप में रखा गया। इस अवधि के दौरान उसे कथित रूप से हिरासत में यातना दी गई।

इसके बाद पुलिस के अत्याचारों को सहन करने में वह असमर्थ रहा और रंगिया की मृत्यु 26.05.2020 को सुबह 4:00 बजे संदिग्ध परिस्थितियों में हवालात में हो गई।

अधिवक्ता नागमणि ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश जारी करने के लिए अदालत के समक्ष प्रार्थना की और साथ ही शीलाम रंगिया की मौत की न्यायिक जांच की मांग भी की।

सितंबर 2020 में, युगल ने अदालत के समक्ष एक आवेदन दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्हें पुलिस विभाग द्वारा धमकी दी जा रही है।

वकील नागमणि ने आरोप लगाया था कि उनके पति को एक एफआईआर में झूठा फंसाया गया था और उन्हें फोन पर धमकी दी गई थी कि इस मामले में शामिल होने से वह न केवल अपने जीवन बल्कि अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के जीवन को खतरे में डाल रही हैं।

इन सबमिशन के बाद एक डिवीजन बेंच ने तेलंगाना राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि दंपति को नुकसान न पहुंचे। पिछले हफ्ते, उच्च न्यायालय ने उन्हें दिए गए प्रोटेक्शन को आगे बढ़ाते हुए एक आदेश पारित किया।

बार काउंसिल ऑफ तेलंगाना ने एक बयान जारी कर कथित घटना की निंदा की।

उन्होंने कहा,

"देश अधिवक्ताओं पर लगातार हमले देख रहा है और कोई भी व्यक्ति कानून को हाथ में नहीं ले सकता और अवैध गतिविधियों का सहारा नहीं ले सकता है और कानून के अनुसार इस मामले से निपटा जाएगा।"

परिषद ने पुलिस से जांच करने और दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग की है। इसने सरकार से अधिवक्ताओं के संरक्षण के लिए अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम बनाने के लिए भी कहा है, जो नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं।

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