शिक्षक भर्ती घोटाला: कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य मंत्री की बेटी के अगले आदेश तक शिक्षक के रूप में काम करने पर रोक लगाई

Update: 2022-05-20 08:26 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि पश्चिम बंगाल के स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी को अगले आदेश तक संबंधित स्कूल परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही कहा कि उन्हें हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के पास सहायक स्कूल शिक्षक के अपने कार्यकाल के दौरान अब तक प्राप्त कुल वेतन भी जमा करना होगा।

हाईकोर्ट ने पीड़ित उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए उक्त निर्देश जारी किए। पीड़ित उम्मीदवार ने आरोप लगाया कि भर्ती परीक्षा में मंत्री की बेटी की तुलना में अधिक अंक हासिल करने के बावजूद उसे नौकरी नहीं दी गई। याचिकाकर्ता ने आगे दावा किया कि उसने भर्ती परीक्षा में 77 अंक हासिल किए, जबकि मंत्री की बेटी ने केवल 61 अंक हासिल किए थे।

अदालत ने बाद में पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में कक्षा X1 और XII के लिए राजनीति विज्ञान के शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया है।

जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने इस तरह की अवैध नियुक्ति पर आदेश दिया कि मंत्री की बेटी अंकिता अधिकारी को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एससीसी) द्वारा अनुशंसित और पश्चिम बंगाल माध्यमिक बोर्ड द्वारा नियुक्त शिक्षक के रूप में न्यायालय द्वारा पारित अगले आदेश तक कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

न्यायालय ने आगे रेखांकित किया कि अधिकारी या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति को संबंधित स्कूल परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अधिकारी को अगले आदेश तक आयोग द्वारा अनुशंसित स्कूल के शिक्षक के रूप में अपना परिचय देने से भी रोक दिया।

अदालत ने आगे चेतावनी दी,

"अगर इस तरह की कोई रिपोर्ट इस अदालत में आती है कि उसने खुद को स्कूल की शिक्षिका के रूप में पेश किया है तो अदालत उसके खिलाफ उचित कदम उठाएगी।"

अदालत ने यह भी नोट किया कि अधिकारी को संबंधित स्कूल में 24 नवंबर, 2018 को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। उसने संबंधित स्कूल में 41 महीने या उससे भी कम समय तक काम किया था। तदनुसार, न्यायालय ने अधिकारी को अपने कार्यकाल के दौरान अब तक प्राप्त कुल वेतन को हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के पास दो किस्तों में जमा करने का आदेश दिया। पहली किस्त 7 जून, 2022 तक और दूसरी किस्त 7 जुलाई, 2022 तक चुकाने का आदेश दिया गया।

आगे यह भी कहा गया कि जिस पद पर अधिकारी को नियुक्त किया गया था, उसे अब रिक्त माना जाएगा और याचिकाकर्ता बबीता सरकार के लिए निर्धारित किया जाएगा, जिसे वास्तव में एक सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाना था। जिला विद्यालय निरीक्षक को भी न्यायालय के अगले आदेश तक अधिकारी को कोई और वेतन नहीं देने का आदेश दिया गया है।

कार्यवाही के दौरान, अधिकारी की ओर से पेश वकील द्वारा अदालत को आगे बताया गया कि अदालत के पहले के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की गई है जिसमें मंत्री को पूछताछ के लिए सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया। इस मामले पर अगले सप्ताह अवकाश पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की संभावना है।

जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने गुरुवार को व्यक्तिगत आधार पर इस मामले में जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश की अपील की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

जस्टिस गंगोपाध्याय ने गुरुवार को मंत्री को सीबीआई के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था, इस आधार पर मंत्री के वकील के जोरदार विरोध के बावजूद कि मंत्री कूच बिहार गए हुए हैं और इस प्रकार सीबीआई के कार्यालय के सामने पेश होने में समय लगेगा। इसके बाद मंत्री के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि मंत्री दोपहर तीन बजे सीबीआई कार्यालय में उपस्थित नहीं हो पाएंगे, क्योंकि वह कूच बिहार में हैं और गुरुवार शाम 6:30 बजे कोलकाता आने वाले हैं।

तदनुसार, जस्टिस गंगोपाध्याय ने बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय के पुलिस आयुक्त को तुरंत हवाईअड्डा अधिकारियों से संपर्क करने का निर्देश दिया ताकि जैसे ही अधिकारी एयरपोर्ट से बाहर आए उन्हें पुलिस अधिकारी सीधे निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय ले जा सकें।

सीबीआई ने गुरुवार को मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 और धारा 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की थी।

केस टाइटल: बबीता सरकार बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

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