सब-डीविजनल ऑफिसर से उम्‍मीद की जाती है कि वह सीआरपीसी की धारा 145 के तहत न्यायिक आदेश पूरे तर्क और चर्चा के साथ पारित करेगा : पटना हाईकोर्ट

Update: 2023-04-19 11:04 GMT

पटना हाईकोर्ट ने सब-डीविजनल ऑफिसर, नरकटियागंज के एक आदेश को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 145 सीआरपीसी के तहत पार‌ित प्राधिकरण का आदेश न न्यायिक प्रकृति का है और न ही प्रशासनिक आदेश है।

जस्टिस डॉ अंशुमन की बेंच ने कहा,

"इस न्यायालय को यह पता चला है कि इस प्रकार का आदेश पारित करना मूल रूप से एक प्रशासनिक आदेश है। अधिकारी यानी उप-विभागीय अधिकारी नरकटियागंज भले ही कार्यकारी पद पर हों, लेकिन सीआरपीसी की धारा 145 के तहत कार्यवाही तय करने के समय वह एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण थे और माना जाता था कि उन्हें एक न्यायिक आदेश पारित करना चाहिए न कि एक प्रशासनिक आदेश। यह बखूबी स्थापित है कि न्यायिक आदेश वह आदेश है, जो रिकॉर्ड पर मौजूदा सामग्री के आधार पर द‌िए गए तर्कों पर आधारित हो और पूरी चर्चा के साथ हो, जो कि इस मामले में नहीं किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने प्रस्तुत किया कि मामला दो पक्षों के बीच विवाद से संबंधित है, जिसमें उन्होंने अपनी दलीलें पेश कीं और सबूत पेश किए, जिसमें पहला पक्ष छह और दूसरे पक्ष ने चार सबूत पेश किए। हालांकि, यह तर्क दिया गया था कि ट्रायल कोर्ट ने अपने विवेक का प्रयोग नहीं किया और मौखिक गवाह के बयानों की चर्चा किए बिना विकृत निष्कर्ष पर पहुंचा।

दूसरी ओर, विरोधी पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि अदालत ने पूरे रिकॉर्ड को देखा और उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंची। अदालत ने विवादित आदेश को रद्द कर दिया और रिकॉर्ड पर मौजूद दलीलों और दस्तावेजों के आधार पर मामले को नए सिरे से विचार करने के लिए वापस निचली अदालत में भेज दिया।

केस टाइटल: लक्ष्मण साह और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News