पटना हाईकोर्ट ने स्टूडियो आधारित कोर्ट के कामकाज की मानक संचालन प्रक्रिया जारी की

Update: 2020-10-11 09:15 GMT

पटना हाईकोर्ट ने मामलों की सुनवाई के लिए प्रायोगिक आधार पर स्टूडियो कोर्ट का नया सिस्टम तैयार किया है। नए सिस्टम के तहत, जज अपने चैंबर में बैठेंगे, जबकि वकील बेंच/ जजों के समक्ष दूसरे कोर्ट रूम (एक स्टूडियो कोर्ट रूम) से पेश होंगे और पूरी कार्यवाही वर्चुअल मोड में होगी।

वर्चुअल सुनवाई का यह ‌सिस्टम पटना हाईकोर्ट द्वारा लागू किया गया है ताकि वकील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का आसानी से लाभ उठा सकें और आवश्यक बुनियादी ढांचे की व्यवस्था किए बिना, अपने मामलों में पेश हो सकें।

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में स्टूडियो-आधारित न्यायालयों के कामकाज के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की। स्टूडियो कोर्ट के इस नए सिस्टम के कारण, लगभग आठ महीने बाद वकील कोर्ट परिसर में कदम रखेंगे।

एसओपी के तहत जारी किए गए मुख्य विशेषताएं और निर्देश-

-गेट नंबर 3 पर, साइकिल स्टैंड के पास, कोर्ट परिसर के एंट्री प्वांइट पर अनिवार्य थर्मल चेक और सैनिटाइजेशन का प्रावधान किया गया है। यह वकीलों और स्टूडियो-आधारित न्यायालयों के जर‌िए सुनवाई के लिए अनुमति प्राप्त अन्‍य व्यक्तियों के लिए कोर्ट परिसर में प्रवेश और निकास का एकमात्र बिंदु होगा।

- वकीलों और पक्षों या अन्य हितधारक का, अगले आदेश तक कोर्ट परिसर में प्रवेश, दैनिक "ई-पास" के माध्यम से होगा।

-वकील जिन्हें मामले में पेश होना है, पटना हाईकोर्ट की वेबसाइट पर संबंधित जानकारियां डालकर ई-पास निकाल सकते हैं।

-एंट्री प्वाइंट पर एक कोर्ट-स्टाफ तैनात किया जाएगा जो एडवोकेट / लिटिगैंट / रजिस्टर्ड क्लर्क के नाम और मोबाइल नंबर नोट करेगा।

- जिन पक्षों के मामले सूचीबद्ध होंगे, उनकी ओर से बहस करने वाले वकील के साथ, एक सहायक वकील और एक पंजीकृत क्लर्क को परिसर और कोर्ट-रूम में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।

-एक बार किसी भी बहस करने वाले वकील / सहायक वकील / पंजीकृत क्लर्क, जैसा कि पूर्व में सूचीबद्ध है, दिन के लिए सूचीबद्ध किसी भी मामले के लिए, प्रवेश की अनुमति दिए जाने के बाद, उसी मामले के लिए और उसी पार्टी के लिए किसी अन्य व्यक्ति को अदालत परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

-न्यायालय परिसर में प्रवेश करने के बाद बहस करने वाले वकील / सहायक वकील / पंजीकृत क्लर्क / पक्ष कोर्ट रूम में जाएंगे, जहां उनका मामला सूचीबद्ध है और संबंधित कोर्ट रूम में प्रवेश करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करेंगे, जहां उनके मामलों की सुनवाई निर्धारित है।

-प्रत्येक कोर्ट रूम में सीटें सीमित रहेंगी और कोर्ट में उन वकीलों/ पार्टी-इन-पर्सन को प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी, जिनके मामले को सुनवाई के लिए बुलाया जाता है और ऐसे अधिवक्ताओं को भी अनुमति दी जाएगी, जिनका मामला तुरंत सुनवाई के लिए आना है।

-शेष वकील निर्धारित क्षेत्र/प्रतीक्षालय में अपनी बारी की प्रतीक्षा करेंगे। वकीलों/ पार्टी-इन-पर्सन पर न्यूनतम निर्धारित भौतिक दूरी के मानदंडों का पालन करने की जिम्‍मेदारी होगी।

-फेस मास्क को उचित तरीके से पहनना, हैंड सेनिटाइजर का बार-बार इस्तेमाल करना और कोर्ट रूम सहित हाईकोर्ट परिसर में प्रवेश करने वाले सभी लोगों के लिए दैहिक दूरी के मानदंडों का पालन करना अनिवार्य है।

-COVID-19 महामारी के संबंध में भारत सरकार और बिहार सरकार द्वारा जारी सामाजिक दूरी के मानदंडों और निर्देशों/ दिशा-निर्देशों/ एसओपी/ परामर्श का कड़ाई से पालन किया जाएगा।

-कोर्ट ब्लॉक में किसी भी संबंधित वकील के साथ जुड़े जूनियर्स, इंटर्न या लॉ छात्रों, पार्टी इन पर्सन/लिटिगेंट के रिश्तेदार, गैर-पंजीकृत क्लर्क को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

-लिटिगेंट और संबंधित पक्षकार, जिनका प्रतिनिधित्व किसी भी अधिवक्ता द्वारा किया जाता है, को केवल न्यायालय परिसर के अंदर प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी, जहां न्यायालय के आदेश के आधार पर उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक है।

- लिट‌िगेंट/संबंधित पक्षों को स्पेशल विजिटर पास, उनके या उनके अधिवक्ता द्वारा किए गए आवेदन और साथ में कोर्ट के आदेश, जिसमें उन्हें पेश होने को कहा गया है, पर जारी किया जाएगा। आवेदन को रजिस्ट्रार जनरल के पास सुनवाई की तारीख से दो दिन पहले दिया जाएगा। पार्टी प्रवेश द्वार पर वैध आईडी प्रमाण के साथ पास का पास दिखाएगी।

-एडवोकेट्स, पार्टी-इन-पर्सन और 65 साल से अधिक उम्र के पंजीकृत क्लर्कों और सह-रुग्णताओं से पीड़ित व्यक्त‌ियों को कोर्ट परिसर में प्रवेश करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है।

-फ्लू, बुखार, खांसी आदि के लक्षण से पीड़ित व्यक्तियों को न्यायालय परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।

- यदि किसी वकील की स्टूडियो-आधारित सुनवाई और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जर‌िए सुनवाई एक ही दिन पड़ती है तो उसे, जिस न्यायालय के समक्ष वीड‌ियो कॉन्फ्रेंसिंग आधारित सुनवाई सूचीबद्ध है, उसे न्यायालय से, उसके मामले की सुनवाई को अन्य उपयुक्त स्लॉट में समायोजित करने के लिए अनुरोध करने की आवश्यकता होगी। इसके लिए उसे संबंधित कोर्ट मास्टर को व्हाट्सएप संदेश भेजना होगा, जिसमें नाम, केस नंबर, पार्टियों के नाम जैसे आवश्यक विवरण देने होंगे, साथ ही विपरीत पक्ष के वकील को पूर्व सूचना देनी होगी।

-बैरिस्टर एसोसिएशन, लॉयर्स एसोसिएशन, एडवोकेट्स एसोसिएशन, अन्य सभी एसोसिएशन, एडवोकेट लाइब्रेरी, पब्लिक यूटिलिटी सर्विसेज और हाई कोर्ट परिसर में स्थित कैंटीन अगले आदेश तक बंद रहेंगी।

उल्लेखनीय है कि पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार (01 अक्टूबर) को एक मामले की सुनवाई करते हुए [COVID-19, महामारी की अवधि में बिहार में न्यायालयों के पुनः कामकाज] में कहा कि 24.3.2020 (जब लॉकडाउन शुरु हुआ) और 30.9.2020 (बुधवार), के बीच कुल 36,651 से अधिक मामलों का उल्लेख किया गया था, जिनमें से 13,485 को सूचीबद्ध करने की अनुमति दी गई थी।

चीफ जस्टिस संजय करोल, जस्टिस दिनेश कुमार सिंह और जस्टिस हेमंत कुमार श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने कहा, "ई फाइलिंग के जर‌िए 2,844 सिविल और 7,260 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जबकि 99 सिविल और 1,404 आपराधिक मामले फिजिकल माध्यम से दर्ज किए गए। ई-मोड के माध्यम से 10,036 सिविल मामलों और 27,109 आपराधिक मामलों की सुनवाई की गई और फिजिकल मोड में 309 सिविल और 1,814 मामले की सुनवाई की गई। 3,784 सिविल में और 14,273 आपराधिक मामलों का ई-मोड में निस्तारण किया गया और एक सिविल और 952 क्रिमिनल मामले का फिजिकल मोड में निस्तारण किया गया।"

इससे पहले, इस मामले की सुनवाई के दौरान [बिहार में COVID-19, महामारी की अवधि में न्यायालयों के पुन: कामकाज] पटना हाईकोर्ट ने बुधवार (30 सितंबर) को ई-फाइलिंग, भौतिक फाइलिंग, सूचीकरण और सुनवाई के मापदंडों का सभी हितधारकों की सहमति से फैसला किया था।

चीफ जस्टिस संजय करोल, जस्टिस दिनेश कुमार सिंह और जस्टिस हेमंत कुमार श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने अधिवक्ताओं की एसोसिएशन, लॉयर्स एसोसिएशन और पटना हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखा था।

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