'शिप का कैप्टन अंत में जाता है': बॉम्बे हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश ने कानूनी बिरादरी के टीकाकरण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान 'टाइटैनिक' का हवाला दिया
बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने उस जनहित याचिका पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रतिष्ठित अमेरिकी महाकाव्य - टाइटैनिक का हवाला दिया,जिसमें न्यायाधीशों सहित कानूनी बिरादरी के सदस्यों को अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के रूप में घोषित करने और प्राथमिकता के आधार पर उनका सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम(एसएआरएस) कोरोनोवायरस के लिए टीकाकरण करने की मांग की गई थी।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने आलंकारिक तरीके से पूछा कि,
''क्या आपने अंग्रेजी फिल्म टाइटैनिक देखी है? क्या आप जहाज के कप्तान को याद करते हैं? कप्तान स्मिथ। जब जहाज खराब मौसम में चलता है, तो कप्तान को क्या करना होता है?''
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ''उन्हें जहाज छोड़ने वालों में अंतिम होना चाहिए। मैं यहां जहाज का कप्तान हूं। पहले समाज आता है, फिर मेरी न्यायपालिका और आखिर में मैं।''
वकील यशोदीप देशमुख ने इसके लिए जल्दी से जवाब देते हुए कहा कि डॉक्टर भी उनके जहाजों के कैप्टन थे, लेकिन वे टीका लगवा रहे हैं। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले में नोटिस जारी कर दिया जाए या कम से कम राज्य को निर्देश दिया जाए कि वह कानूनी बिरादरी के सदस्यों को अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के रूप में घोषित करने के लिए उनके प्रतिनिधित्व पर विचार करे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें उन लोगों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है जो टीकाकरण प्राप्त कर रहे हैं। ''प्रत्येक डॉक्टर वायरस के जोखिम का सामना नहीं कर रहा था। कुछ ने महीनों तक अपने क्लीनिक बंद रखे हैं, लेकिन राज्य ने उन्हें शामिल किया क्योंकि यह एक आवश्यकता है।''
उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता सेवाओं के कई वकील थे, जिन्होंने विचाराधीन कैदियों की रिहाई और जेलों में भीड़ कम करने के लिए अथक प्रयास किया था। देशमुख ने कहा कि,''मजिस्ट्रेट, सरकारी वकील जो पुलिस अधिकारियों और विचाराधीन कैदियों के संपर्क में थे, क्या वे टीकाकरण के हकदार नहीं हैं?''
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ''जोखिम है, इस बात में कोई संदेह नहीं है। हमें सतर्क और सावधान रहना होगा। लेकिन आप न्यायपालिका से न्यायपालिका के लिए परमादेश जारी करने मांग की मांग कर रहे हैं।''
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने तब अदालत को सूचित किया कि भारत बायोटेक ने पहले ही एक आवेदन दायर कर इन सभी मामलों को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की है। अदालत ने कहा कि वे तब तक हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है जब तक कि नीति में कुछ गड़बड़ ना हो, लेकिन याचिकाकर्ता ने ''न्याय तक पहुंच'' का उल्लेख किया है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की डिवीजन बेंच ने यह जानना चाहा कि कोरोनावायरस का टीका प्राप्त करने के लिए पात्रता मानदंड क्या है क्योंकि इन दिनों डॉक्टर के पर्चे प्राप्त करना बहुत आसान है?, ''ताकि धूर्त लोग इसके मुख्य उद्देश्य का शोषण न कर पाएं।''
एएसजी ने कहा कि वह निर्देश लेकर इस संबंध में कोर्ट को सूचित करेंगे। जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
अदालत ने मामले की सुनवाई शुरू करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि इस तरह की जनहित याचिका निजी संगठनों और डब्बावालों के कर्मचारियों के लिए क्यों नहीं दायर की गई। ''इस तरह से हर कोई फ्रंटलाइन वर्कर है।''
उन्होंने कहा कि कार्यकारी ने शानदार काम किया है और कुछ चीजें उनकी समझदारी पर छोड़ दी जानी चाहिए।
पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के दो अधिवक्ताओं वैष्णवी घोलवे और योगेश मोरबले द्वारा यह जनहित याचिका दायर की गई है,जिसमें न्यायाधीशों सहित कानूनी बिरादरी के सदस्यों को अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के रूप में घोषित करने और प्राथमिकता के आधार पर उनका सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम(एसएआरएस) कोरोनोवायरस के लिए टीकाकरण करने की मांग की गई है।
इसमें कहा गया है कि न केवल न्यायिक अधिकारी, बल्कि अधिवक्ताओं और उनके कर्मचारियों को भी अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि,''न्यायपालिका को लोकतंत्र के आवश्यक स्तंभों में से एक के रूप में घोषित किया गया है। जो सदस्य इस स्तंभ का हिस्सा हैं, उनमें न्यायाधीश, न्यायालय कर्मचारी, अधिवक्ता और उनके क्लर्क शामिल हैं। इसलिए वे अन्य कर्मचारियों के साथ समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।''