'यौन उत्तेजक कपड़े'- केरल हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में लेखक-कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को जमानत देने के सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

Update: 2022-08-24 07:43 GMT

केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने राज्य सरकार द्वारा यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment Case) के एक मामले में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन (Civic Chandran) को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली याचिका में सेशन कोर्ट के जमानत देने के आदेश पर रोक लगा दी है।

जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने टिप्पणी की कि अगर महिला ने 'यौन उत्तेजक कपड़े' पहन रखी है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए के तहत अपराध प्रथम दृष्टया आकर्षित नहीं होगा, इसे जस्टिफाई नहीं किया जा सकता है।

कोझीकोड सत्र न्यायालय के आदेश, जिसे 12 अगस्त को पारित किया गया था, ने बड़े पैमाने पर सामाजिक आक्रोश पैदा किया था क्योंकि इसमें टिप्पणी की गई थी कि अगर महिला ने 'यौन उत्तेजक कपड़े' पहन रखी है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए के तहत अपराध प्रथम दृष्टया आकर्षित नहीं होगा।

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के साथ पठित 439 (2) के तहत दायर आपराधिक विविध याचिका में, राज्य ने सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए निष्कर्षों और तर्क को "अवैधता, संवेदनशीलता की कमी, संयम और विकृति" से पीड़ित के रूप में चुनौती दी।

चंदन पर वास्तविक शिकायतकर्ता के प्रति यौन संबंध बनाने का आरोप है, जो एक युवा महिला लेखिका है। आरोप है कि नंदी बीच पर लगे कैंप में उसने शील भंग करने की कोशिश की। कोइलैंडी पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 354ए(2), 341 और 354 के तहत मामला दर्ज किया है।

इसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का रुख किया और महिला की कुछ तस्वीरें पेश कीं।

जज ने 12 अगस्त को अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने यह भी कहा किया कि यह कैसे संभव है कि 74 वर्षीय शारीरिक रूप से अक्षम आरोपी शिकायतकर्ता को जबरदस्ती अपनी गोद में बिठा सकता है और उसके स्तनों को दबा सकता है।

जब इस मामले को कोर्ट ने उठाया, तो कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकार क्षेत्र का अनुचित प्रयोग किया गया है। अदालत ने कहा कि जमानत देने के लिए अप्रासंगिक सामग्री पर भरोसा किया जाता है।

वहां, कोर्ट ने सत्र न्यायालय के आक्षेपित आदेश पर रोक लगा दी है। हालांकि, आरोपी की उम्र को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जब तक क्रिमिनल एमसी का निपटारा नहीं हो जाता तब तक आरोपी को गिरफ्तार न किया जाए।

कोर्ट ने सेशन कोर्ट से केस का रिकॉर्ड भी मंगवाया है। छुट्टी के बाद मामले को उठाया जाएगा।

केस टाइटल: केरल राज्य बनाम सिविक चंद्रन

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