'ऑनर किल‌िंग का गंभीर खतरा', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू युवक से शादी करने वाली मुस्लिम युवती को पिता की कस्टडी से बाहर निकालने का आदेश दिया

Update: 2020-10-11 09:57 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (08 अक्टूबर) को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कानपुर नगर की शिखा @ शीबा नाम की एक मुस्‍लिम लड़की, जिसने एक हिंदू पुरुष (रोहित राठौर) से शादी करने के बाद हिंदू धर्म स्वीकार कर ‌लिया, को उसके भाई और पिता की कस्टडी से बाहर निकालने का निर्देश दिया है।

जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने आदेश दिया कि, जब तक उसे अदालत में पेश नहीं किया जाता है, उसे नारी निकेतन, कानपुर नगर की सुरक्षा और संरक्षा में रखा जाए।

केस के तथ्य

याचिकाकर्ता (बंदी का पति) के वकील द्वारा प्रस्तुत किया गया था कि मुख्तार अली की बेटी शिखा @ शीबा ने रोहित राठौर पुत्र राम सेवक राठौर (जिसने याचिका से दायर की है) से हिंदू संस्कार के अनुसार 03.07.2020 को आर्य समाज मंदिर, रावतपुर गांव, कानपुर नगर में शादी की। उसी उसी आर्य समाज मंदिर में उसने 03.07.2020 को हिंदू धर्म में स्वीकार किया था।

यह प्रस्तुत किया गया था कि दोनों पक्षों के विवाह को उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 के तहत 09.07.2020 को विवाह पंजीकरण कार्यालय सीरियल नंबर 468, एसआरओ कार्यालय- सदर चौथे, जिला कानपुर नगर में विधिवत पंजीकृत किया गया था।

इस मामले में बंदी के पिता, मुख्तार अली ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने शिखा @ शीबा की उम्र 22 साल होने का संकेत दिया, ‌जिसके बाद धारा 366 के तहत 2020 की केस अपराध संख्या 293 2020, राज्य बनाम रोहित राठौर, पीएस बिल्हौर, जिला कानपुर नगर, दर्ज हुआ।

उक्त मामले के संबंध में, याचिकाकर्ता के वकील ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष रिकॉर्ड किए गए बंदी (शिखा @ शीबा) के पक्ष की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित किया।

उक्त बयान में, बंदी (शिखा @ शीबा) ने कहा है कि उसने घर छोड़ दिया था क्योंकि वह अपनी मां से नाराज थी। वह रोहित से शादी करके उसके साथ रहना चाहती है।

इसके अलावा, उसने कहा कि रोहित ने उसकी इच्छा के विपरीत कुछ भी नहीं किया है।

याचिका में कहा गया था कि एसएचओ, पीएस. बिल्हौर, कानपुर नगर ने चौथे प्रतिवादी के साथ मिलकर, चालाकी से शिखा @ शीबा को उसके पिता को सौंप दिया। उसके बाद से वह अपने पिता और भाई की अवैध कस्टडी में है।

बंदी (शिखा @ शीबा) ने रोहित को फोन करके सूचित किया कि उसे प्रतिवादी 4 और 5 द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है और उसकी किसी भी समय हत्या हो सकती है।

उसने रोहित से उसे छुड़ाने का अनुरोध किया। यह कहा गया कि यह टेलीफोन पर प्राप्त उसका निर्देश था कि रोहित ने यह याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह सिर्फ शिखा @ शीबा को अवैध कस्टडी से बाहर न‌िकालने के बारे में नहीं है, बल्कि उसकी जान बचाने और उसे ऑनर किलिंग का शिकार बनने से रोकने के लिए भी है। इस‌लिए इस अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए।

कोर्ट के निर्देश

कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी 4 और 5 को चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के माध्यम से, कानपुर नगर, त्वरित संचार माध्यम से नोटिस दिया जाए, जिसका जवाब 12.10.2020 तक आ जाए

इसके अलावा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कानपुर नगर को शिखा @ शीबा, जो वर्तमान में इमरान हसन (उसके भाई) और मुख्तार अली (उसके पिता) की हिरासत में है, को इस न्यायालय के समक्ष 12.10.2020 को 02 बजे पेश किया करने का आदेश दिया जाए।

कोर्ट ने आगे कहा, "चूंकि शिखा @ शीबा पर ऑनर किलिंग का शिकार होने का गंभीर खतरा है, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कानपुर नगर को शिखा @ शीबा को इमरान हसन पुत्र मुख्तार अली और मुख्तार अली पुत्र मकबूल अली की हिरासत से बाहर निकालने का आदेश दिया जाता है और उसे अदालत में पेश होने तक नारी निकेतन, कानपुर नगर की सुरक्षा में रहने का आदेश दिया जाता है।"

अंत में, न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस आदेश को को संयुक्त रजिस्ट्रार (अनुपालन) द्वारा मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट, कानपुर नगर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कानपुर नगर, पुलिस महानिदेशक, लखनऊ, यूपी, प्रमुख सचिव (गृह), लखनऊ, यूपी, और प्रभारी, नारी निकेतन, कानपुर नगर को सूचित किया जाए।

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