मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'सैनिटाइजर' और 'मास्क' दान करने की शर्त पर आरोपियों को दी जमानत
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने मंगलवार (30-जून-2020) को धारा 439 सीआरपीसी के अंतर्गत दाखिल जमानत आवेदन को स्वीकारते हुए आरोपियों/जमानत आवेदनकर्ताओं को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वे 5-5 लीटर अल्कोहलिक सैनिटाइजर और 200-200 अच्छे गुणवत्ता वाले मास्क जिला अस्पताल, धार के पैरा मेडिकल स्टाफ के उपयोग के लिए दान करेंगे।
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की पीठ ने इस जमानत आवेदन में यह शर्त लगते हुए यह भी कहा कि हिरासत से आवेदकों को रिहा करने से पहले, जेल अधिकारियों को COVID -19 संक्रमण की संभावना का पता लगाने के लिए उनका चिकित्सकीय परिक्षण करना होगा।
क्या था यह मामला?
अभियोजन के अनुसार, मौजूदा जमानत के आवेदक, बिना परमिट और लाइसेंस के नागदा से इंदौर तक शराब पहुंचा रहे थे। आवेदकों के लिए पेश अधिवक्ता ने यह प्रस्तुत किया कि आवेदकों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
आवेदकों द्वारा धारा 439 सीआरपीसी के तहत दायर यह पहला जमानत आवेदन था, जिसके जरिये वे अदालत से 'मध्य प्रदेश एक्साइज एक्ट' की धारा 34 (2) के तहत दंडनीय अपराध, जिसके चलते पुलिस स्टेशन कानवन, जिला धार में उनके खिलाफ अपराध क्रमांक -174/2020 के अंतर्गत मामला दर्ज हुआ, के संबंध में जमानत की मांग कर रहे थे।
गौरतलब है कि ये आवेदक बीते 21 मई से हिरासत में हैं। यह प्रस्तुत किया गया कि COVID -19 महामारी के कारण परीक्षण (Trial) का समापन होने में समय लग सकता है। मामले का अन्वेषण (Investigation) पूरा हो गया है और चार्जशीट दायर कर दी गई है। अदालत ने देखा कि किया गया अपराध, मजिस्ट्रेट द्वारा परिक्षण-योग्य (Triable) है।
अदालत के अपने आदेश में विचार
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और आवेदकों के लिए पेश अधिवक्ता द्वारा दी गई दलीलों के मद्देनजर, मामले की योग्यता पर टिप्पणी किए बिना, अदालत ने जमानत आवेदन को शर्तों के साथ अनुमति दी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि
"आवेदकों को जिला अस्पताल, धार में पैरा मेडिकल स्टाफ के उपयोग के लिए 5-5 लीटर अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर और 200-200 अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क दान करने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने के लिए निर्देशित किया जाता है।"
इसके अलावा, अदालत ने उन्हें 40,000-40,000/- (रुपए चालीस हजार) की राशि के व्यक्तिगत बांड को भी प्रस्तुत करने का आदेश दिया और उन्हें 437 (3) सीआरपीसी के अंतर्गत शर्तो का भी पालन करना होगा।
गौरतलब है कि हाल ही में, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपियों को ज़मानत की पूर्व शर्त के रूप में स्थानीय ज़िला अस्पताल में दो एलईडी टीवी लगाने का निर्देश दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि ये टीवी चीन में बने नहीं होने चाहिए।
न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ ने अपने आदेश में कहा था,
"याचिककर्ताओं को निर्देश दिया जाता है कि वे एलईडी टीवी ज़िला अस्पताल मोरार के रैन बसेरा में लगाएं जो कम से कम ₹25,000 कीमत की हों और ये चीन के अलावा कहीं के भी बने हो सकते हैं। शर्त नंबर 8 के बारे में अनुपालन की रिपोर्ट इससे संबंधित फ़ोटो के साथ इस अदालत की रजिस्ट्री में जमा की जानी चाहिए।"
यही नहीं, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच (न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ) ने बीते मई में तमाम जमानत आवेदनों में इस शर्त पर जमानत दी थी कि याचिकाकर्ता को संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष खुद को "COVID -19 वॉरियर्स" के रूप में पंजीकृत करना होगा। इसके पश्च्यात, उन्हें COVID -19 आपदा प्रबंधन का काम सौंपा जायेगा।
वहीँ, पटना हाईकोर्ट ने जून महीने की शुरुआत में (1-4 जून 2020) 20 से अधिक जमानत आवेदन के मामलों में आरोपियों को इस शर्त पर जमानत दी कि जमानत आवेदनकर्ता/आरोपी को एक/दो/तीन महीने की अवधि के लिए "स्वयंसेवक" (Volunteer) के रूप में (COVID -19 से मुकाबला करने के लिए) या COVID अस्पताल/जिला स्वास्थ्य केंद्र में "स्वयंसेवक" के रूप में अपनी सेवा प्रदान करनी होगी।