ईडी ने 'रीजन ऑफ बिलीव' रिकॉर्ड किए बिना नकदी और आभूषणों की तलाशी और जब्ती की: तेलंगाना हाईकोर्ट ने जब्ती की कार्यवाही रद्द की

Update: 2023-01-20 08:40 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट ने ईडी द्वारा नकदी और आभूषणों की तलाशी और जब्ती रद्द कर दी, क्योंकि यह "रीजन ऑफ बिलीव" को दर्ज किए बिना किया गया।

जस्टिस के. सारथ की एकल पीठ ने पाया कि प्रवर्तन निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक ने "विश्वास करने का कारण" दर्ज किए बिना अपने अधीनस्थों को तलाशी वारंट/प्राधिकार जारी किया। प्रवर्तन के उप निदेशक ने बिना किसी तारीख के रीजन ऑफ बिलीव को रिकॉर्ड किया और जो समय स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पीएमएल एक्ट की धारा 17 (1) के तहत आवश्यकताओं का पालन किए बिना अधिकारियों ने तलाशी और जब्ती की और याचिकाकर्ताओं से संबंधित आभूषण, नकदी और अन्य सामान जब्त किए।

याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि सर्च वारंट केवल दिखाया गया, हस्ताक्षर जबरदस्ती लिए गए। याचिकाकर्ता सर्च वारंट की सामग्री को नहीं पढ़ सका। प्रतिवादी/विभाग पीएमएलए, 2002 की धारा 17(1) के अनुसार "रीजन ऑफ बिलीव" की रिकॉर्डिंग के लिए तारीख और समय का विवरण प्रदान करने में विफल रहे।

जैसा कि रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, विभाग ने तर्क दिया कि पीएमएल एक्ट ही याचिकाकर्ताओं को अदालत जाने के बजाय न्यायनिर्णयन प्राधिकरण के समक्ष उपाय प्रदान करता है।

अदालत ने फैसला सुनाया कि प्रतिवादियों ने पीएमएल अधिनियम की धारा 17 में उल्लिखित प्रक्रिया का पालन किए बिना तलाशी और जब्ती की और तलाशी पूरी होने के बाद भी उन्होंने पीएमएल अधिनियम की धारा 17 में उल्लिखित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

अदालत ने प्रतिवादियों को जब्त किए गए सभी गहने, नकदी और अन्य सामान रिलीज करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: एम/एस. मुसद्दीलाल जेम्स एंड ज्वेल्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ

साइटेशन: रिट याचिका नंबर 39378/2022

दिनांक: 11.01.2023

याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट बी चंद्रसेन रेड्डी और प्रतिवादी के वकील टी.सूर्यकरन रेड्डी पेश हुए।

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