स्कूलों को बच्चों को फिजिकल क्लास में आने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए: तेलंगाना हाईकोर्ट
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति टी. विनोद कुमार की तेलंगाना हाईकोर्ट की दो-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मंगलवार को राज्य के सभी स्कूलों को एक सितंबर से खोलने के संबंध में जारी सरकारी सर्कुलर पर कई दिशा-निर्देश जारी दिए।
सरकार ने 24 अगस्त को सर्कुलर जारी कर राज्य के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को फिर से फिजिकल क्लास शुरू करने का निर्देश दिया।
पैनल उक्त ज्ञापन को चुनौती देने वाली बी. कृष्णा मंडपाती द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार कर रहा था।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एल. रविचंदर ने पैनल को विभिन्न कठिनाइयों की ओर इशारा किया। इसमें सरकार ने स्कूल के लिए कोई एसओपी जारी किए बिना वर्तमान सर्कुलर पारित किया।
पैनल को यह भी बताया गया कि छात्रों के लिए विशेष रूप से प्राथमिक और प्री-प्राइमरी के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना और मास्क पहनना मुश्किल होगा। इसके परिणामस्वरूप बच्चे अपने घरों में COVID-19 स्प्रीडर बनेंगे।
एक सवाल यह भी उठाया गया कि स्कूलों में पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। विशेष रूप से अतिरिक्त कक्षाएं और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कक्षा को दो हिस्सों में विभाजित करने के लिए जुड़ा हुआ बुनियादी ढांचा और किसी भी आपातकालीन चिकित्सा सहायता के लिए पर्याप्त नर्सिंग स्टाफ नहीं है।
वकील ने बताया कि पहले की एक खंडपीठ ने सरकार से उन स्कूलों के संचालन का विवरण मांगा था, जो आगे नहीं आ रहे हैं।
बी.एस. राज्य के महाधिवक्ता प्रसाद ने पैनल को सूचित किया कि राज्य ने विभिन्न समितियों के साथ विभिन्न चर्चाओं के बाद यूनिसेफ के अनुरोध सहित सर्कुलर जारी किया है।
आगे बताया गया कि राज्य सभी स्कूलों की निगरानी कर रहा है कि स्कूलों द्वारा सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
पैनल ने विभिन्न चिंताओं को उठाते हुए कहा कि मौजूदा कुछ डीईओ शहर के सभी स्कूलों की निगरानी कैसे कर सकते हैं।
यह बताया गया कि सरकार द्वारा जारी किया गया सर्कुलर बिना किसी स्पष्टता के है।
सभी दलीलों पर विचार करने के बाद बेंच ने सभी हितधारकों के अधिकारों और हितों को संतुलित करने के लिए कई निर्देश जारी किए।
इसलिए, यह निर्देश दिया गया कि निजी या सरकारी स्कूल के किसी भी स्कूली बच्चे को फिजिकल रूप से स्कूल में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा, कोई भी प्राइवेट या सरकारी स्कूल बच्चों पर फिजिकल रूप से स्कूल में उपस्थित नहीं होने पर किसी भी प्रकार का जुर्माना नहीं लगाएगा।
फिजिकल रूप से क्लास संचालित नहीं करने के लिए सरकार को किसी भी स्कूल को दंडित नहीं करना चाहिए।
पैनल ने स्कूल को यह भी निर्देश दिया कि माता-पिता से किसी भी उपक्रम पर जोर न दें और यदि ऐसा कोई उपक्रम एकत्र किया जाता है तो वह मान्य नहीं है।
इसने आगे निर्देश दिया कि सभी स्कूलों को फिजिकल स्कूल चलाने के लिए सभी सावधानियां बरतनी चाहिए।
इसने स्कूलों को फिजिकल स्कूलों के साथ-साथ ऑनलाइन स्कूलों को हाइब्रिड मोड में जारी रखने का भी निर्देश दिया।
पैनल ने राज्य को स्कूलों और सभी स्कूलों के लिए एसओपी का मसौदा तैयार करने और लागू करने का भी निर्देश दिया है कि वे इसका सख्ती से पालन करें।
पैनल ने राज्य को बच्चों के लिए विशेष रूप से बाल रोग के लिए बनाए गए बुनियादी ढांचे की दिशा में राज्य द्वारा उठाए गए सभी आंकड़ों और कदमों के साथ अपना काउंटर दाखिल करने का निर्देश दिया।
साथ ही समाज कल्याण स्कूल और सरकारी स्कूलों में ऑफलाइन क्लास की शुरुआत की है।
वहीं सर्कुलर के तहत आवासीय विद्यालयों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है।
पीठ ने यह भी स्पष्टीकरण मांगा कि क्या बच्चों के लिए सभी पाठ्यपुस्तकें छपी हैं और उन्हें जारी की गई हैं। पैनल ने निजी और सरकारी आवासीय विद्यालयों, समाज कल्याण स्कूलों और सभी प्रकार के आवासीय विद्यालयों के फिजिकल उद्घाटन पर रोक लगा दी।
यह रोक तब तक लगाई है जब तक कि वर्तमान महामारी के मद्देनजर सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदम अदालत के समक्ष नहीं रखे गए।
कोर्ट ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत विशेषज्ञ सलाहकार समिति को स्कूलों को फिर से खोलने के लिए अपनी सलाहकार रिपोर्ट पैनल के सामने रखने का भी निर्देश दिया।
मामले की सुनवाई चार अक्टूबर, 2021 तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
केस शीर्षक: बाला कृष्ण मंडपाती बनाम तेलंगाना राज्य और अन्य।
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