लखनऊ कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को 9 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को एक महिला और उसके मित्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटों बाद लखनऊ की एक अदालत ने उन्हें 9 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
24 वर्षीय महिला, जिसका 2019 में बहुजन समाज पार्टी के सांसद अतुल राय द्वारा कथित रूप से बलात्कार किया गया था, उसने 24 अगस्त को दम तोड़ दिया। उसके 27 वर्षीय मित्र की पिछले सप्ताह इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी।
महिला ने आरोप लगाया था कि ठाकुर ने सांसद राय के खिलाफ मामला वापस लेने के लिए या इसे कमजोर करने की धमकी देने में आरोपी की मदद की थी।
इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच पैनल का गठन किया था। इस पैनल का नेतृत्व डीजीपी (पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड) राज कुमार विश्वकर्मा ने किया था और इसमें अतिरिक्त डी-जी (महिला पावर लाइन) नीरा रावत शामिल थीं।
मामले की जांच करते हुए पैनल ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी और उसी के आधार पर, लखनऊ पुलिस ने ठाकुर और राय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और बाद में ठाकुर को महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया। राय पहले से ही प्रयागराज के नैनी जेल में बंद हैं।
ठाकुर के खिलाफ प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 167, धारा 195-ए (झूठे सबूत के लिए किसी व्यक्ति को धमकी देना), 218 (गलत रिकॉर्ड बनाना, आदि), आईपीसी की धारा 504, धारा 506 और आईपीसी 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप शामिल हैं।
पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा,
"16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पीड़िता और उसके साथी द्वारा आत्मदाह के प्रयास के संबंध में सरकार ने एक जांच समिति का गठन किया था, जो अपने अंतरिम में जांच रिपोर्ट में घोसी से बसपा सांसद अतुल राय और अमिताभ ठाकुर को प्रथम दृष्टया पीड़िता और उसके सहयोगी गवाह को आत्महत्या के लिए उकसाने और अन्य आरोपों का दोषी पाया गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की भी सिफारिश की।''