सेम-सेक्स रिलेशनशिप- मैं खुद की पूर्व धारणाओं को तोड़ने की कोशिश कर रहा हूं: मद्रास हाईकोर्ट जज
समान लिंगी दंपति की संरक्षण याचिका को निस्तारित करते हुए सोमवार (29 मार्च) को मद्रास हाईकोर्ट के जज, जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने कहा कि इस मुद्दे पर वह खुद की पूर्व धारणाओं को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे और वह विकसित होने की प्रक्रिया में थे।
जस्टिस वेंकटेश की पीठ ने पिछले सप्ताह समान लिंगी दंपति की संवेदनशीलता के मद्देनजर मामले को बंद कमरे में सुनने की इच्छा व्यक्त की थी।
सोमवार को, जब सभी पक्ष अदालत के समक्ष उपस्थित हुए तो पीठ ने याचिकाकर्ताओं और उनके माता-पिता के साथ बातचीत की ताकि उनकी मानसिक स्थिति का आकलन किया जा सके और मामले को आगे बढ़ाने से पहले उनके रुख को समझा जा सके।
तथ्य
प्रथम याचिकाकर्ता (लगभग 22 वर्ष की आयु) ने बीएसी (गणित) किया है और वर्तमान में एमबीए में अध्ययनरत है, और द्वितीय याचिकाकर्ता (लगभग 20 वर्ष की आयु) बीए (तमिल) में अध्ययनरत है।
दोनो याचिकाकर्ता 2 वर्षों से एक दूसरे को जानते हैं और दोनों ने कोर्ट के सामने कहा कि उन्हें प्यार हो गया है और वे बहुत स्पष्ट है कि वे दोनों जीवन भर एक दूसरे के साथी रहेंगे।
कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ताओं ने एक भी शब्द बनाकर नहीं बोला और वे बहुत ही स्पष्ट थे कि वे क्या संदेश देना चाहते हैं"।
याचिकाकर्ताओं के माता-पिता, याचिकाकर्ताओं के बीच संबंध के बारे में जानते थे, और यह उनकी पसंद के अनुसार नहीं था।
जब कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के माता-पिता के साथ बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि वे याचिकाकर्ताओं के संबंध को तुरंत स्वीकार करने में सक्षम नहीं थे।
वे याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा के बारे में अधिक चिंतित थे और उन्हें चिंता थी कि याचिकाकर्ताओं का शोषण न हो।
इस पृष्ठभूमि में, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और उनके माता-पिता को एक काउंसलर के के पास भेजना उचित समझा, जो LGBTQI+ व्यक्तियों के मामलों में को समझने में सक्षम था।
कोर्ट ने कहा, "यह कदम बहुत महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि अदालत अंजान रास्तों पर चल रही है, और एक विशेषज्ञ की रिपोर्ट मामले में आगे बढ़ने में अदालत की मदद करेगी।"
अवलोकन
शुरुआत मे जस्टिस वेंकटेश ने टिप्पणी की, "मैंने इस मुद्दे की उचित समझ के लिए व्यक्तिगत रूप से कुछ शोध करने और सामग्री जुटाने में कुछ समय बिताया। मेरे लिए यह संभव था कि मैं अपने आदेश को बहुत अधिक शोध सामग्रियों से भर दूं और एक विद्वत्तापूर्ण आदेश के लिए बाहरी दुनिया से सराहना पा लूं। हालांकि मेरे अंदर से एक आवाज आती रही और मुझे याद दिलाती रही कि अगर मैं इस स्तर पर इस तरह की कोशि करता हूं, तो यह केवल एक पाखंड होगा क्योंकि ऑर्डर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर मेरी सच्ची और ईमानदार भावना को प्रकट नहीं करेगा। "
पीठ ने आगे कहा, "खुल कर कहूं तो मैं इस मुद्दे पर खुद की पूर्व धारणाओं को तोड़ने की कोशिश कर रहा हूं और मैं विकसित होने की प्रक्रिया में हूं, और ईमानदारी से याचिकाकर्ताओं और उनके माता-पिता की भावनाओं को समझने की कोशिश कर रहा हूं, इसके बाद एक विस्तृत आदेश लिखने के लिए आगे बढ़ा हूं।"
इसके अलावा, अदालत ने सुश्री विद्या दिनकरन, एमएससी (काउंसिलिंग मनोविज्ञान) को पक्षों को परामर्श देने अनुरोध किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया, और परामर्श अप्रैल 2021 के तीसरे सप्ताह में दिया जाएगा।
अंत में, अदालत ने 26.04.2021 को या उससे पहले मामले में सीलबंद कवर में रिपोर्ट मांगी।
न्यायालय को यह भी आभास हुआ कि दोनों पक्ष शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करेंगे और सरकारी वकील ने यह भी कहा कि पुलिस इस मुद्दे पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी और शिकायतों को तुरंत समाप्त किया जाएगा।
मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल 2021 को होगी।
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