धारा 438 सीआरपीसी | हिरासत में लिए गए आरोपी को किसी अन्य मामले में अग्रिम जमानत मांगने से नहीं रोका जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि किसी एक मामले में हिरासत में लिया गया आरोपी सीआरपीसी की धारा 438 के तहत दूसरे मामले में अग्रिम जमानत मांग सकता है। कोर्ट जालसाजी मामले में एक आरोपी को गिरफ्तारी पूर्व जमानत देते हुए ये टिप्पणी की।
जस्टिस एनजे जमादार ने कहा, "मैं यह मानने के लिए बाध्य हूं कि यह तथ्य कि आवेदक पहले से ही एक मामले में हिरासत में है, उसे दूसरे मामले के संबंध में गिरफ्तारी पूर्व जमानत मांगने से नहीं रोकता है, जिसमें उसे गिरफ्तारी की आशंका है।"
जज ने अलनेश अकिल सोमजी बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में हाईकोर्ट के विचारों पर भरोसा किया, जिसने कहा था कि नरिंदरजीत सिंह साहनी औरअन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले में बहुत स्पष्ट शब्दों में यह नहीं कहा गया है कि एक अपराध में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को दूसरे अपराध में अग्रिम जमानत मांगने से रोक दिया गया था।
आवेदक ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406, 409, 465, 467, 468, 471 सहपठित धारा 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए पिंपरी पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले के संबंध में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की मांग की। आवेदक पहले से ही 2021 से ईसीआईआर में जेल में था।
हस्तक्षेपकर्ता ने आवेदन की स्थिरता पर आपत्ति उठाई। उन्होंने दावा किया कि पहले से ही हिरासत में मौजूद व्यक्ति अपने खिलाफ अन्य अपराधों के संबंध में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की राहत पाने का हकदार नहीं है।
आवेदक ने भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 420, 406, 409, 465, 467, 468, 471 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए पिंपरी पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले के संबंध में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की मांग की। आवेदक पहले से ही 2021 से ईसीआईआर में जेल में था।
हस्तक्षेपकर्ता ने आवेदन के सुनवाई योग्य होने पर आपत्ति दर्ज की। उन्होंने दावा किया कि पहले से ही हिरासत में मौजूद व्यक्ति अपने खिलाफ अन्य अपराधों के संबंध में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की राहत पाने का हकदार नहीं है।
सभी दलीलों को सुनने और निर्णयों का विश्लेषण करने के बाद अदालत ने राय दी कि सीआरपीसी की धारा 438 (4) के तहत जमानत के आवेदन पर विचार करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अदालत ने कहा, एकमात्र शर्त आवेदक को गिरफ्तार किए जाने की आशंका है।
अदालत ने रेखांकित किया कि एक आरोपी को एक के बाद एक मामले में बार-बार गिरफ्तार किए जाने की संभावना पर अदालत के हाथ बंधे रहेंगे, अगर शिकायतकर्ता के प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है।
कोर्ट ने नरिंदरजीत सिंह साहनी के मामले को अलग किया और पाया कि याचिकाकर्ता उस मामले में व्यापक अग्रिम जमानत की मांग कर रहा था।
कोर्ट ने कहा, “इस प्रकार, मैं अलनेश सोमजी (सुप्रा) के मामले में इस न्यायालय द्वारा दर्ज किए गए दृष्टिकोण से पूरी तरह सहमत हूं कि नरिंदरजीत (सुप्रा) में निर्णय बहुत स्पष्ट शब्दों में नहीं है कि एक अपराध में गिरफ्तार किया गया व्यक्ति किसी अन्य अपराध में गिरफ्तारी सधारा 438 के तहत राहत केवल इस आधार पर नहीं मांग सकता कि उसे एक अन्य विशिष्ट अपराध में गिरफ्तार किया गया है।''
केस टाइटलः अमर एस मूलचंदानी बनाम महाराष्ट्र राज्य
केस नंबरः अग्रिम जमानत आवेदन संख्या 2801/2023