वाहन की खरीदते समय भुगतान किया गया 'रोड टैक्स' और राजमार्ग पर भुगतान किया गया 'टोल टैक्स' दोहरे टैक्स के समान नहीं : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि कार खरीदते समय मोटर वाहन अधिनियम के तहत भुगतान किया गया रोड टैक्स और राष्ट्रीय राजमार्ग टोल बूथों पर दिया जाने वाला टोल टैक्स दोहरे टैक्स की श्रेणी में नहीं आएगा।
याचिकाकर्ताओं द्वारा जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे
अधिवक्ता याचिकाकर्ताओं ने जनहित याचिका के माध्यम से रिट याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि वे कई वाहनों के मालिक हैं। उन्होंने वाहनों की खरीद के समय रोड टैक्स का भुगतान किया और प्रतिवादी उन्हें टोल टैक्स का भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जो याचिकाकर्ताओं द्वारा भुगतान किए गए लाइफ टाइम टैक्स के अतिरिक्त है। याचिकाकर्ता चाहते थे कि टोल टैक्स के भुगतान को अवैध और अन्यायपूर्ण घोषित किया जाए।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी शिकायत की कि कुछ गणमान्य व्यक्तियों द्वारा टोल-टैक्स का भुगतान नहीं किया जा रहा और छूट भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
एनएचएआई की प्रतिक्रिया
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कहा कि राजमार्गों के विकास के रास्ते में आने वाले वित्तीय संकट को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने कुछ धन जुटाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया। इसके अनुसार धारा 8ए को राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 में शामिल किया गया।
वैधानिक प्रावधान एनएचएआई को राष्ट्रीय राजमार्ग के पूरे या हिस्से के विकास और रखरखाव के संबंध में किसी भी व्यक्ति के साथ समझौता करने का अधिकार देता है। यह किसी भी व्यक्ति को, जिसके साथ इस तरह का समझौता किया गया हो, उसके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं या लाभों के लिए शुल्क एकत्र करने और बनाए रखने का अधिकार देता है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग, निवेशित पूंजी पर ब्याज, उचित रिटर्न, यातायात की मात्रा और इस तरह के समझौते की अवधि, भवन, रखरखाव, प्रबंधन और संचालन में शामिल व्यय शामिल है।
स्टेट लॉरी ऑनर्स फेडरेशन, तमिलनाडु बनाम सुप्रीटेंंडिंग इंजीनियर, एआईआर 1999 मद्रास 181 पर विश्वास जताया गया। इसमें यह माना गया कि मोटर वाहन कराधान अधिनियम के तहत टैक्स लेना और राष्ट्रीय राजमार्ग नियमों के तहत टोल टैक्स की वसूली दोहरा टैक्स वसूल करना नहीं है।
न्यायालय की टिप्पणियां
अदालत ने देखा कि भारत सरकार ने निर्माण, चौड़ीकरण और उन्हें मज़बूत बनाए रखने के मामले में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से पूरे देश में सड़कों का बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत धारा 8ए जोड़कर नीतिगत निर्णय लिया। यहां तक कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत बनाए गए नियम भी राष्ट्रीय राजमार्ग (टैक्स लेना), राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (टोल टैक्स का निर्धारण) नियम, 2008 जैसे टोल टैक्स लेने का प्रावधान करती है। कुछ गणमान्य व्यक्तियों को भी भुगतान से स्पष्ट रूप से छूट दी गई है।
याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम या उसके तहत नियमों की धारा 8ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती नहीं दी, इसलिए एनएचएआई की कार्यवाही जो अधिनियम और नियमों के अनुरूप है, उसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह कि राजमार्गों से सटे सर्विस रोड उपलब्ध है और कम दूरी के यात्री मुफ्त में सर्विस रोड की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, राज्य स्टेट लॉरी ऑनर्स फेडरेशन, तमिलनाडु बनाम सुप्रीटेंंडिंग इंजीनियर, एआईआर 1999 में मद्रास हाईकोर्ट ने पुलों और सड़कों के निर्माण के लिए टैक्स की वसूली को बरकरार रखा।
नतीजतन कोर्ट को इस मामले में राहत देने का कोई कारण नहीं मिला क्योंकि मामले में हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता, इसलिए जनहित याचिका खारिज कर दी गई।
केस शीर्षक: डी. विद्या सागर बनाम भारत संघ और चार अन्य
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एपी) 24
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