आवेदक के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले के आधार पर पासपोर्ट का नवीनीकरण करने से इनकार नहीं किया जा सकता : कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि पासपोर्ट एक्ट की धारा 6 (2) (एफ), जिसके तहत पासपोर्ट प्राधिकरण उस व्यक्ति को नया पासपोर्ट जारी करने से इनकार कर सकता है, जिसके खिलाफ भारत में आपराधिक मामला लंबित है, उन मामलों में लागू नहीं होगा ,जहां आवेदक अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण की मांग कर रहा हो।
न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर की पीठ ने कहा कि,'
'पासपोर्ट एक्ट की धारा 6 (2) (एफ) को पढ़ने के बाद यह पता चलता है कि पासपोर्ट प्राधिकरण विदेशी देश में जाने के लिए पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज जारी करने से इंकार कर सकता है, यदि भारत में आवेदक के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा लंबित है तो। हालांकि, उक्त प्रावधान उस व्यक्ति के लिए पासपोर्ट जारी करने से इनकार करने के लिए नहीं कहता है जो भारत वापस आने का इरादा रखता है। इसलिए, इस प्रावधान को पढ़ने से स्पष्ट रूप से इंगित होता है कि यह केवल नए पासपोर्ट जारी करने के मामले में लागू होता है, पासपोर्ट के नवीनीकरण के मामले में नहीं।''
अदालत ने असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल सी शशिकांत द्वारा प्रस्तुत किए गए उस दावे को भी खारिज कर दिया कि पासपोर्ट के नवीकरण के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट की लिखित अनुमति आवश्यक है,जैसा कि विदेश मंत्रालय,भारत सरकार की तरफ से 25 अगस्त 1993 को जारी अधिसूचना नंबर जी.एस.आर 570(ई) में कहा गया था।
जिस पर अदालत ने कहा
''उक्त अधिसूचना एक ऐसे आवेदक पर लागू होती है जो एक आपराधिक मामला लंबित होने पर विदेश यात्रा का इरादा रखता है। वर्तमान मामले में, याचिकाकर्ता अपने पासपोर्ट के लिए नवीनीकरण की मांग कर रहा है, इसलिए अधिनियम की धारा 6 (2) (एफ) और विदेश मंत्रालय,भारत सरकार की तरफ से 25 अगस्त 1993 को जारी अधिसूचना नंबर जी.एस.आर 570(ई) की आड़ लेकर उसकी मांग को खारिज नहीं किया जा सकता है।''
याचिकाकर्ता का मामला
याचिकाकर्ता कृष्णा चिरंजीवी राव पालुकुरी वेंकट ने अदालत से गुहार लगाई थी कि अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं ताकि पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए 22 जनवरी को उसकी तरफ से दायर आवेदन को स्वीकार किया जा सकें।
उसने बताया कि वर्ष 2006 में, वह एक ईआरपी सलाहकार के रूप में यूएसए में गया था। तब से वह अपने परिवार के साथ H1B visa के आधार पर वहां रह रहा था। 22 जनवरी 2020 को उसने भारतीय वाणिज्य दूतावास, न्यूयॉर्क, यूएसए के समक्ष अपनी ट्रैवल एजेंसी के माध्यम से अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था।
18 मई 2020 को, याचिकाकर्ता ने भारतीय वाणिज्य दूतावास, न्यूयॉर्क, यूएसए को एक ईमेल भेजा जिसमें बताया गया कि उसका पासपोर्ट 6 जुलाई 2020 को समाप्त होने वाला है। उसके बाद उसने अपने पासपोर्ट को नवीनीकृत करवाने के लिए कई अनुरोध किए।
17 जून 2020 को उसे प्रतिवादी नंबर 3 (क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय) से एक ईमेल प्राप्त किया, जिसमें कहा गया कि प्रतिवादी नंबर 4 (सीबीआई) से एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें बताया गया है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
अदालत ने एएसजी की उस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता भारत की यात्रा करने के लिए एक आपातकालीन प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि,''याचिकाकर्ता के पासपोर्ट को अस्वीकृत या जब्त या रद्द नहीं किया गया है, इसलिए आपातकालीन प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए बनाए गए नियम उस पर लागू नहीं होते हैं।''
अदालत ने कहा, '
'आपराधिक मामला लंबित होने के आधार पर पासपोर्ट को नवीनीकृत करने से इनकार करके याचिकाकर्ताओं के यात्रा के अधिकार को खत्म नहीं किया जा सकता है।''
अदालत ने याचिका को अनुमति देते हुए इस बात पर भी ध्यान दिया कि प्रतिवादियों ने यह स्थापित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है कि याचिकाकर्ता को न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए सम्मन तामील करवा दिए गए थे या अधिकारियों द्वारा कोई ऐसा नोेटिस जारी किया था,जिसके तहत आवेदक को यह सूचित किया गया हो कि उसके खिलाफ एक आपराधिक केस लंबित है।
इस प्रकार न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश पारित कियाः
इस आदेश में किए गए अवलोकनों को ध्यान में रखते हुए प्रतिवादी नंबर 1 से 3 को यह निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता के पासपोर्ट संख्या J2032048 को नवीनीकरण की तारीख से लेकर नौ महीने की अवधि के लिए नवीनीकृत कर दें,जिसके लिए याचिकाकर्ता को 5,00,000 रुपये की राशि की एक बैंक गारंटी प्रस्तुत करनी होगी।
याचिकाकर्ता को निर्देश दिया गया है कि वह अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण की तिथि के छह महीने के भीतर माननीय XXI अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, हैदराबाद के समक्ष लंबित C.C.No.1503/2019 (RCNo.2(E)/2005 में उपस्थिति दर्ज कराए। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो प्रतिवादी नंबर 1 से 3 याचिकाकर्ता के पासपोर्ट के नवीनीकरण को रद्द करने के लिए स्वतंत्र हैं और याचिकाकर्ता द्वारा दी गई बैंक गारंटी को भी एनकैश करवा सकते हैं।
मामले का विवरण-
केस का शीर्षक-कृष्णा चिरंजीवी राव पालुकुरी वेंकट एंड यूनियन आॅफ इंडिया
केस नंबर- रिट पैटिशन नंबर 9141/2020 (GM-PASS)
आदेश की तिथि-1 अक्टूबर, 2020
कोरम-जस्टिस हेमंत चंदनगौदर
प्रतिनिधित्व-
याचिकाकर्ता के लिए अधिवक्ता लोमेश किरन एन।
एएसजी सी.शशिकांत,आर-1 से आर-3 के लिए
वकील पी.प्रसन्ना कुमार,आर-4 व आर-5 के लिए
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