अडानी ग्रुप के खिलाफ कंटेंट हटाने के आदेश को रवीश कुमार ने हाईकोर्ट में दी चुनौती
पत्रकार रवीश कुमार ने केंद्र सरकार के उस आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें उन्हें अडानी एंटरप्राइजेज के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक कंटेंट हटाने का निर्देश दिया गया था।
इस मामले की सुनवाई सोमवार को जस्टिस सचिन दत्ता करेंगे।
गौरतलब है कि इसी आदेश को चुनौती देते हुए न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा दायर एक ऐसी ही याचिका भी सोमवार को जज के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
अपनी याचिका में कुमार ने कहा कि यह आदेश कार्यपालिका शक्ति का अभूतपूर्व और असंवैधानिक प्रयोग है, जो लोकतांत्रिक शासन, प्रेस की स्वतंत्रता और भारत के संविधान में निहित शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत की नींव पर प्रहार करता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि वह उस मानहानि मुकदमे में प्रतिवादी नहीं थे, जिसमें यह आदेश पारित किया गया था। हालांकि, केंद्र के निर्देश से उन पर सीधा और प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, क्योंकि उनके YouTube वीडियो को हटाने के लिए निशाना बनाया गया।
याचिका के अनुसार, इस तरह के सरकारी अतिक्रमण का नकारात्मक प्रभाव व्यक्तिगत कंटेंट निर्माताओं से आगे बढ़कर देश में स्वतंत्र पत्रकारिता और सार्वजनिक संवाद के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र तक फैला हुआ।
याचिका में यह घोषित करने की मांग की गई कि पत्रकारिता संबंधी सामग्री पर पूर्व प्रतिबंध लगाने के लिए अनुच्छेद 19(2) के सुरक्षा उपायों का सख्त संवैधानिक अनुपालन आवश्यक है और केंद्र सरकार द्वारा इसका उल्लंघन किया गया।
इसमें केंद्र को संवैधानिक और वैधानिक अनुपालन के बिना ऐसे आदेश जारी करने से बचने का निर्देश देने की भी मांग की गई।
केंद्र सरकार को किसी भी कंटेंट-संबंधी प्रशासनिक कार्रवाई के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित करने, पत्रकारों और सामग्री निर्माताओं की सुरक्षा करते हुए सामग्री विनियमन में कार्यकारी अतिक्रमण के खिलाफ सुरक्षा उपाय स्थापित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई।
Title: RAVISH KUMAR v. UNION OF INDIA