जनजातीय लोगों के लिए निर्बाध राशन आपूर्ति सुनिश्चित करें और जनजातीय कॉलोनियों के लिए सड़क बनाने की संभावना का पता लगाएं: केरल हाईकोर्ट ने केरल सरकार को निर्देश दिया

Update: 2021-01-21 07:30 GMT

Kerala High Court

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार (18 जनवरी) को केरल राज्य सरकार को निर्देश दिया कि केरल सरकार इडुक्की के एडामालकुडी में रहने वाले जनजातीय समुदाय के सदस्यों को राशन की निर्बाध आपूर्ति और कानून के तहत उपलब्ध किसी भी अन्य लाभ को सुनिश्चित करे।

मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाज़ी पी. चली की खंडपीठ ने कहा कि,

"राज्य सरकार को जनजातीयों तक पहुंच के लिए सड़क बनाने की संभावना तलाशने की जरूरत है, जिससे राशन की आसान और सुविधाजनक आपूर्ति की सुविधा और बुनियादी लाभ के लिए आवश्यक अन्य चीजें उपलब्ध कराना आसान हो सके। जीवन जीने के लिए जरूरी सुविधाएं और जनजातीयों के लिए चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करना चाहिए।"

कोर्ट के समक्ष मामला

"ये निर्देश हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. कमल पाशा के एक पत्र के आधार पर शुरू किए गए सू मोटो केस में पारित किए गए थे।"

यह पत्र वर्ष 2016 में एनसीटी नई दिल्ली सरकार के साथ कथित रूप से पंजीकृत एक संगठन के पदाधिकारियों द्वारा प्रतिनिधित्व के आधार पर लिखा गया था।

पत्र के मुताबिक, मानसून के मौसम के दौरान इडुक्की की एडामलाकुडी की कॉलोनियां अलग-थलग हो जाती हैं। इस समय के दौरान अक्सर भुखमरी से मौतें होती हैं। यह भी प्रस्तुत किया गया कि कोई भी सरकारी एजेंसियां इन कालोनियों का दौरा नहीं करती हैं।

इसके साथ ही इडुक्की विधिक सेवा प्राधिकरण को एनजीओ द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में पूछताछ करने के लिए कहा गया था।

डीएलएसए ने राशन की आपूर्ति में विभिन्न अनियमितताएं पाई थीं। उनकी अपनी रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों को इडुक्की जिले के पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाने वाले कठिन इलाकों के कारण जनजातीय कॉलोनियों में राशन को ले जाने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।

स्वयं को संतुष्ट करते हुए कि राज्य सरकार और विभागों द्वारा आवश्यक कदम उठाए गए हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पर्याप्त मात्रा में राशन, आदिवासियों को आपूर्ति की जाती है। न्यायालय ने ध्यान दिया कि राशन ले जाने में कई कठिनाइयां आती हैं।

कोर्ट ने कहा कि,

"भले ही सरकार और अधिकारियों द्वारा सड़क बनाने के लिए उचित कदम उठाए गए हों, लेकिन जो सड़कें बनाई गई हैं वह आदिवासी कॉलोनियों तक पूरी तरह से पहुंच नहीं पा रही हैं। यह बातें वरिष्ठ सरकारी प्लीडर के अनुसार हैं। इस तथ्य के कारण है कि इस तरह से एक दुर्लभ इलाक़े में व्यावहारिक रूप सड़क बनाना असंभव है, लेकिन राशन और अन्य चीज़ों को आदिवासियों तक पहुंचाने के लिए एक छोटी सड़क बनाने की संभावना तलाशने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।"

अंत में, राज्य सरकार और आधिकारिक उत्तरदाताओं को राशन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए और उपरोक्त निर्दिष्ट आदिवासी कॉलेनी के सदस्यों के लिए कानून के तहत उपलब्ध किसी भी अन्य लाभ को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश के द्वारा रिट याचिका का निस्तारण किया गया।

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