राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य को 4 महीने के भीतर सार्वजनिक नियुक्तियों, शैक्षणिक संस्थानों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण देने के निर्देश दिए

Update: 2022-02-15 11:47 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने राज्य सरकार को ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग में शामिल करने और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सार्वजनिक नियुक्तियों के मामलों में सभी प्रकार के आरक्षण देने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ ने इस कवायद को पूरा करने के लिए चार महीने का समय दिया है।

कोर्ट ने गंगा कुमारी द्वारा दायर एक रिट याचिका में यह निर्देश दिया। इसमें राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ एंड अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के जनादेश के संदर्भ में ट्रांसजेंडरों को प्रभावी आरक्षण देने की मांग की गई थी।

राज्य ने याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि यह राज्य के विशेषाधिकार का मामला है कि किस तरह और किस हद तक आरक्षण प्रदान किया जाना है; और याचिकाकर्ता यह मांग नहीं कर सकता कि उसे एक विशेष तरीके से या उस सीमा तक आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।

अदालत ने असहमति जताते हुए कहा कि नालसा के फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों को देखते हुए राज्य के पास निर्देशों को लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

बेंच ने कहा,

"केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग में शामिल करने और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सार्वजनिक नियुक्तियों के मामलों में सभी प्रकार के आरक्षण देने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिया जाता है। ऐसा निर्देश स्पष्ट रूप से राज्य की ओर से इस तरह से और उस हद तक आरक्षण पर काम करने के लिए एक दायित्व डालता है, जैसा कि वह उपलब्ध प्रासंगिक आंकड़ों के आधार पर तय कर सकता है।"

आगे कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश जारी किए जाने के बाद से काफी समय बीत चुका है और राज्य को अब तक समुदाय को विशेष उपचार प्रदान करने के लिए उचित नियम और कानून के साथ सामने आना चाहिए था।

कोर्ट ने कहा कि राज्य को यह अभ्यास तेजी से पूरा करने की आवश्यकता है, अधिकतम चार महीने की अवधि के भीतर।

अदालत ने याचिकाकर्ता को चयन की प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी और फैसला सुनाया कि उसकी उम्मीदवारी को केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जाएगा कि याचिकाकर्ता थर्ड जेंडर हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से ऋतुराज सिंह राठौर पेश हुए, जबकि एएजी मनीष व्यास और डी.डी. चितलांगी प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए।

केस का शीर्षक: गंगा कुमारी बनाम राजस्थान राज्य

प्रशस्ति पत्र: 2022 लाइव लॉ (राज) 61

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