(ईडब्ल्यूएस कोटा सीटों को शामिल न करने का मामला) : राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल पीजी प्रवेश के लिए आयोजित फर्स्ट रांउड की काउंसलिंग रद्द की, नए सिरे से काउंसलिंग करने का निर्देश
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और एनईईटी, पीजी मेडिकल काउंसलिंग बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस ) कोटे को लागू करने के लिए आवंटित अतिरिक्त 89 सीटों को शामिल करके पीजी सीटों पर प्रवेश के लिए नए सिरे से काउंसलिंग आयोजित करवाएं।
न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा ने इस मामले में दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है। मामले में दायर याचिकाओं में राज्य सरकार की उस कार्रवाई को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत इन अतिरिक्त सीटों को शामिल नहीं किया गया था। जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने दस प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटे को लागू करने के लिए यह सीटें प्रदान की थी।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि काउंसलिंग के पहले राउंड में उक्त सीटों को शामिल नहीं करने के कारण, सामान्य वर्ग के उन छात्रों के प्रति गंभीर पूर्वाग्रह पैदा हो गया है,जो मेधावी थे। जिन्हें उनकी पसंद के कॉलेज और संकाय प्रदान किए जा सकते थे।
कोर्ट ने कहा कि
''इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि यदि किसी मेधावी उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है और उसके स्थान पर ईडब्ल्यूएस श्रेणी से कम मेधावी उम्मीदवार को किसी विशेष कॉलेज में एक विशेष संकाय में एक विशेष सीट प्रदान की जाती है तो इसका एक व्यापक प्रभाव होता है। चूंकि उक्त मेधावी उम्मीदवार को दूसरे कॉलेज में एक और सीट मिल जाएगी। जिसका प्रभाव सामान्य रूप से किसी अन्य मेधावी उम्मीदवार पर पड़ेगा, जिसने इस सीट का चुना था और तुलनात्मक योग्यता के आधार पर उसका नुकसान होगा।''
मामले की पृष्ठभूमि
17 जनवरी, 2019 को भारत सरकार द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की मौजूदा योजना के तहत कवर नहीं किए होने वाले ईडब्ल्यूएस को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश प्रदान करने के लिए यह कोटा प्रदान किया गया था। जो हर श्रेणी में कुल सीटों का 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
यह भी कहा गया था कि इन सीटों को वार्षिक अनुमत संख्या से ऊपर जोड़ा जाएगा। इनको इस तरह से जोड़ा जाएगा ताकि विभिन्न अन्य श्रेणियों के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या कम न हो।
ज्ञापन के संदर्भ में, एमसीआई ने 27 फरवरी, 2020 ने एक पत्र लिखकर राजस्थान राज्य के लिए 89 सीटों की वृद्धि की थी।
याचिकाकर्ताओं का यह कहना था कि राजस्थान सरकार ने 26 अप्रैल को पहले चरण की काउंसलिंग का परिणाम जारी किया था, जबकि पहले चरण की काउंसलिंग में 89 सीटों को शामिल नहीं किया गया था।
कोर्ट का निष्कर्ष
उक्त दस्तावेजों के अवलोकन के बाद अदालत ने कहा कि राजस्थान राज्य को एमसीआई और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि
''वर्तमान मामले में, काउंसलिंग के पहले चरण में सीटें न जोड़ने के कारण, मेधावी छात्रों के भविष्य को नुकसान में डाल दिया गया है। जिसकी भरपाई काउंसलिंग के दूसरे दौर में खुले निकास की विधि द्वारा नहीं की जा सकती है।''
इसलिए पीठ ने निर्देश दिया है कि पहले चरण की काउंसलिंग में दिए गए प्रवेश को ''रद्द'' माना जाएगा। पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह एमसीआई के 27 फरवरी 2020 के पत्र के अनुसार ईडब्ल्यूएस कोटे को लागू करने के लिए आवंटित अतिरिक्त सीटों को शामिल करके पीजी सीटों में प्रवेश के लिए नए सिरे से काउंसलिंग कराए।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि
- रिट याचिकाओं की पेंडेंसी के दौरान यह देखने में आया है कि ऑल इंडिया काउंसलिंग का पहला चरण और ऑल इंडिया काउंसलिंग का दूसरा चरण पहले ही शुरू हो चुका है। इसलिए इन अजीब परिस्थितियों को देखते हुए,जो काउंसलिंग अब राज्य द्वारा की जानी है,उसमें उन सीटों को भी शामिल कर लिया जाए जो आॅल इंडिया काउंसलिंग के बाद राज्य के पास आनी है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि प्रवेश देने में कोई देरी न हो।
-राज्य सरकार ईडब्ल्यूएस के 10 प्रतिशत कोटे को भरने के लिए 10 प्रतिशत का प्लेन रोस्टर लागू करने के लिए स्वतंत्र होगी। उक्त उद्देश्य के लिए सीधी भर्ती का रोस्टर लागू नहीं होगा। ईडब्ल्यूएस आरक्षण केवल उन्हीं सीटों पर रोस्टर के अनुसार लागू होगा जो एमसीआई द्वारा ईडब्ल्यूएस कोटे के लिए 27 फरवरी 2020 के पत्र में माध्यम से उपलब्ध कराई गई हैं।
-पहले चरण की काउंसलिंग में दिए गए सभी प्रवेश को रद्द माना जाएगा। हालाँकि, यदि दूसरे चरण की काउंसलिंग में छात्रों को वही कॉलेज आवंटित किया जाता है, तो उनका दाखिला उसी के अनुसार किया जाएगा। वहीं जिन मामलों में किसी एक छात्र को एक विशेष सीट नहीं मिल पाई है और उसने पहले ही फीस जमा करा दी है तो वह उसे वापिस कर दी जाएगी। आॅल इंडिया काउंसलिंग खत्म होने के तुरंत बाद यह कवायद या अभ्यास कर लिया जाए।
-यह निर्देश दिया गया है कि इसके बाद पीजी पाठ्यक्रमों के लिए जो प्रवेश प्रक्रिया आयोजित की जानी है, वह पारदर्शी होनी चाहिए। वहीं जो रोस्टर लागू किया जा रहा है उसके बारे में सभी छात्रों को पहले से जानकारी प्रदान कर दी जाए। वहीं काॅलेजों में पड़ी खाली सीटों आदि के बारे में पहले ही सूचित कर दिया जाए ताकि भविष्य में मुकदमेबाजी से बचा जा सकें।
-इस न्यायालय द्वारा संविधान के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक श्रेणी में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के संबंध में की गई टिप्पणियों पर भविष्य में किए जाने वाले दाखिलों के समय विचार किया जाए।'
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