'कोई स्पष्ट यौन कृत्य नहीं दिखाया गया': राज कुंद्रा ने पोर्न फिल्म मामले में पुलिस हिरासत को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी

Update: 2021-07-23 13:42 GMT

व्यवसायी राज कुंद्रा ने मंगलवार को मुंबई की एक स्थानीय अदालत द्वारा पारित रिमांड आदेश को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज कुंद्रा को हाल ही में अश्लील वीडियो (पोर्न) के कथित प्रोडक्शन और वितरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में उन्होंने पुलिस हिरासत से फौरन रिहा करने की मांग की है।

कुंद्रा पर आईपीसी की धारा 354 (सी), 292, 420 और आईटी अधिनियम की धारा 67, 67 ए और महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दायर याचिका में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा 20 जुलाई को कुंद्रा को पुलिस हिरासत में भेजने के आदेश को रद्द करने की मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि मुंबई पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी अवैध है, क्योंकि उन्हें सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत पेश होने का उचित नोटिस जारी नहीं किया गया था। बल्कि आरोप है कि बयान दर्ज करने की आड़ में कुंद्रा को गिरफ्तार किया गया।

याचिका में कहा गया,

"उस मामले में नोटिस जहां 05.02.2021 को प्राथमिकी दर्ज की गई है और आरोप पत्र 03.04.2021 को दायर किया गया है। हालांकि वे आसानी से नोटिस दे सकते थे और याचिकाकर्ता को उपस्थित होने और अपना बयान देने की अनुमति दे सकते थे।

यदि याचिकाकर्ता ऐसा करने में विफल रहता है तो वे यह सब कर सकते थे। हालांकि, अगर याचिकाकर्ता पेश होता है तो धारा 41 ए (3) के तहत, उसे बिल्कुल भी गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए था।"

इस पृष्ठभूमि में यह तर्क दिया जाता है कि संबंधित मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कुंद्रा को पुलिस हिरासत में भेजने में गलती की।

यह आगे आरोप लगाया गया कि सीएमएम इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक साधनों के कथित उपयोग के मामले में जहां सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम लागू होता है, मामले में दंड संहिता के प्रावधानों को गलत तरीके से लागू किया है।

याचिका में आगे कहा गया है कि विवादित सामग्री प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट यौन कृत्यों और संभोग को नहीं दर्शाती है। केवल लघु फिल्मों के रूप में सामग्री दिखाती है, जो कामुक हैं।

इस प्रकार, अभियोजन के मामले को सही मानते हुए भी यह धारा 67 के दायरे में आता है, एक जमानती अपराध और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 ए में नहीं।

याचिका में कहा गया,

"याचिकाकर्ता प्रस्तुत करता है कि पूर्वोक्त के आलोक में रिमांड के आदेश दिनांक 20.07.2021 और उसके बाद के आदेश पूरी तरह से अवैध हैं और सीआरपीसी की धारा 41 ए के अनिवार्य प्रावधानों के खिलाफ हैं।"

परिनम लॉ एसोसिएट्स के माध्यम से याचिका दायर की गई है।

मुंबई के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कुंद्रा और उनके सहयोगी रयान थारप को 23 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

अपराध शाखा ने दावा किया है कि कुंद्रा रैकेट में एक "प्रमुख साजिशकर्ता" है। उन्होंने लंदन में एक विदेशी आईपी एड्रेस से अश्लील सामग्री अपलोड करने वाली कंपनी के साथ उसकी कंपनी के विभिन्न विदेशी लेनदेन पाए हैं।

पुलिस ने दावा किया कि कुंद्रा के पास 'हॉटशॉट' नाम का एक ऐप था, जो अश्लील सामग्री बनाता था। बाद में इस ऐप को यूके स्थित आरोपी प्रदीप बख्शी, कथित तौर पर कुंद्रा के रिश्तेदार को बेच दिया गया। हालांकि, कुंद्रा ने बाद में ऐप पर वीडियो अपलोड की।

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